Subhash Chandra Bose : जानिए नेताजी की अंग्रेज़ों की आंखों में धूल झोंककर जर्मनी पहुंचने की कहानी

Updated : Jan 23, 2024 06:31
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Editorji News Desk

Subhash Chandra Bose Birth Anniversary : भारत में आज़ादी के परवानों की अनेकों गाथाएं मिलेंगी जिनके कंधे पर चढ़कर भारत को आज़ादी मिली थी. इसी ही आज़ादी के परवाने थे नेताजी सुभाष चंद्र बो(Subhash Chandra Bose). आज नेता जी की 127 जयंती है. आज हम आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे कि नेता जी कैसे साल 1941 में अपने घर से अंग्रेज़ों की आंखों में धूल झोंककर झारखंड के गोमोह रेलवे स्टेशन (Gomoh Railway Station) पहुंचे थे और उसके बाद जर्मनी कि यात्रा पर गए थे.

जी हां नेताजी के कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित पैतृक आवास पर आज भी 1937 मॉडल की वह खूबसूरत जर्मन वांडरर सीडान कार (german wanderer sedan car) खड़ी है जिसने सुभाष चंद्र बोस के गुप्त तरीके से भागने में अहम भूमिका अदा की थी. नेताजी रिसर्च ब्यूरो की पहल पर कार बनाने वाली प्रमुख कंपनी ऑडी ने इस सीडान कार को 1941 वाला पुराना मनोहारी लुक दिया है. वर्ष 2017 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जर्मन वांडरर सीडान कार का अनावरण किया था.

अंग्रेजों ने नेताजी को उनके ही घर पर उन्हें नजरबंद कर दिया था. वे उनपर पैनी नजर रखे हुए थे, लेकिन फिर भी बोस उनकी आंखों में धूल झोंककर फरार होने में कामयाब हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1941 में 16 और 17 जनवरी की मध्यरात्रि को अपने भतीजे शिशिर कुमार बोस (Shishir Kumar Bose) के साथ कोलकाता से फरार हुए थे. मोहम्मद जियाउद्दीन (Mohammad Ziauddin) बनकर बोस सामने वाली सीट पर बैठे थे, जबकि शिशिर बोस कार चला रहे थे. जानकारी के अनुसार, ऐसा भी कहा जाता है कि नेताजी ऑडी कार रखने वाले देश के पहले व्यक्ति थे.

अंग्रेज अधिकारियों और सिपाहियों को बेवकूफ बना कर कोलकाता से वे पहले गोमो पहुंचे थे. वहां से कालका मेल में सवार होकर गुम हो गए, तो अंग्रेजों ने उस जगह का नाम गोमो रख दिया. वहीं, अंग्रेज सिपाही जब उन्हें खोजते हुए झरिया के ‘भागा’ पहुंचे तो नेताजी यहां से चकमा देकर भाग निकले. 

Subhash Chandra Bose

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