EXIT Poll...ये शब्द आपने हर इलेक्शन के रिजल्ट से पहले जरूर सुना होगा...न्यूज चैनल्स की डिबेट्स पर देखा होगा...चाय की टपरी पर EXIT Poll के बारे में गुफ्तगू से आप भी कभी ना कभी रूबरू जरूर हुए होंगे. लेकिन क्या आप वाकई जानते हैं कि एग्जिट पोल आखिर होता क्या है? इसे कैसे कराया जाता है? और आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई? नहीं जानते हैं तो आइए 2 मिनट में जान लेते हैं EXIT Poll के बारे में सब कुछ-
क्या होता है EXIT Poll?
- किसी भी चुनाव में मतदान के बाद जब वोटर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो उससे पूछा जाता है कि उसने किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है.
- इस सर्वे के लिए देश की कई प्रमुख एजेंसियां शामिल रहती हैं, जो अलग-अलग ढंग से एग्जिट पोल करती हैं.
- ये एजेंसियां मतदान के दिन अपने लोगों को पोलिंग बूथ के बाहर तैनात करती हैं.
- जैसे ही वोटर मतदान कर बाहर निकलते हैं. उनसे कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं.
- जैसे- उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया.
- प्रधानमंत्री पद के लिए उनका पसंदीदा उम्मीदवार कौन सा है, वगैरह-वगैरह.
EXIT Poll पर बात हो ही रही है तो इसके इतिहास पर भी खुलकर बात होनी चाहिए. भारत की तरह दुनियाभर के कई देशों में चुनावों से पहले एग्जिट पोल कराए जाते हैं. अमेरिका से लेकर एशिया और अफ्रीका तक कई महाद्वीपों पर ये पोल कराए जाते रहे हैं. लेकिन,
- सबसे पहला एग्जिट पोल 1936 में अमेरिका में कराया गया था.
- उस समय जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिनसन ने न्यूयॉर्क में सर्वे किया था.
- मतदान केंद्रों से बाहर आ रहे वोटर्स से पूछा गया था कि कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को वोट दिया है.
- इस एग्जिट पोल में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट के जीतने का अनुमान जताया गया था, जो चुनावी नतीजों में सच साबित हुआ.
- इसके बाद दुनियाभर में एग्जिट पोल का चलन तेजी से फैला.
- इसके बाद 1937 में ब्रिटेन और 1938 में फ्रांस में पहले एग्जिट पोल हुए.
- वहीं, भारत में 1957 में दूसरे आम चुनाव में पहली बार एग्जिट पोल कराया गया था.
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने ये पोल कराया था.
- लेकिन इसे पूरा तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा गया.
- इसके बाद 1980 में डॉ. प्रणय रॉय ने पहला एग्जिट पोल कराया था.
- 1996 का लोकसभा चुनाव एग्जिट पोल के लिहाज से काफी अहम था.
- उस समय दूरदर्शन पर एग्जिट पोल दिखाए गए थे.
- ये पहली बार था जब टीवी पर एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए गए.
- ये सर्वे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने किया था.
- उस चुनाव में CSDS ने अपने एग्जिट पोल में खंडित जनादेश का अनुमान लगाया था. हुआ भी ऐसा ही था.
बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा. आइए अब ये भी जान लीजिए कि EXIT पोल पर क्या गाइडलाइंस हैं...क्या कहते हैं नियम.
EXIT Poll को लेकर क्या है गाइडलाइंस?
- EXIT पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं.
- रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते.
- आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं.
- कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
पिछले चुनावों में कितने सही रहे एग्जिट पोल?
- 2019 और 2014 के आम चुनाव के एग्जिट पोल सही साबित हुए.
- दोनों ही बार एग्जिट पोल में बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया गया था और नतीजों में भी यही रहा.
- लेकिन, 20 साल पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजे और चुनावी नतीजे एकदम उलट थे.
- तब एग्जिट पोल में कहा जा रहा था कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनेगी और NDA की सरकार बनेगी.
- लेकिन जब नतीजे आए तो NDA 200 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया और 189 पर सिमट गया.
- कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और UPA की सरकार बनी.
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