The Truth Behind Demolition of Babri Masjid : 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस (Babri Masjid Demolition) हुआ था... 31 साल पहले इस दिन जिस एक पत्रकार ने बाबरी विध्वंस को कवर किया था... एक दिन पहले इसकी रिहर्सल को भी उसने आंखों से देखा था... शायद आप चौंक गए होंगे! लेकिन हां, ये सच है... पत्रकार प्रवीण जैन का अनुभव कुछ साल पहले Al Jazeera में छपा था और आज हम इसी इंटरव्यू का हिंदी तर्जुमा आपको बताएंगे...
प्रवीण जैन 1987 में द पायनियर अखबार से जुड़े थे. वे कुछ वर्षों से अयोध्या आंदोलन को कवर कर रहे थे. दिसंबर 1992 से पहले वे दो-तीन बार अयोध्या जा चुके थे. 6 दिसंबर से पहले भी एडिटर विनोद मेहता ने उन्हें अयोध्या जाने को कहा था जिसके बाद 4 दिसंबर को वे अयोध्या पहुंच गए... लेकिन 5 दिसंबर को उन्हें आभास हो गया था कि बाबरी मस्जिद गिराई जाने वाली है...
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अयोध्या में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जैन ने विश्व हिंदू परिषद - Vishwa Hindu Parishad (वीएचपी) नेता अशोक सिंघल (Ashok Singhal) से संगठन की योजनाओं के बारे में सवाल किया था. जैन ने बताया था कि उत्तर में तब वह सिर्फ मुस्कुरा दिए थे और कहा था: "बस इंतजार करो और देखो..."
जैन ने बताया था कि 5 दिसंबर को वीएचपी ने बाबरी मस्जिद के पास एक रिहर्सल भी की थी. यहां किसी मीडिया को जाने की अनुमति नहीं थी लेकिन जैन अकेले ऐसे पत्रकार थे जो वहां मौजूद थे...वीएचपी के एक दूसरे नेता बीएल शर्मा उनके मित्र थे. उन्होंने 5 दिसंबर की सुबह जैन को मिलने के लिए कहा और वादा किया कि वह उन्हें कुछ दिलचस्प दिखाएंगे...
वह दिन आया... जैन जब वहां पहुंचे तो शर्मा ने उन्हें वीएचपी का पहचान पत्र दिया... यह पहचान पत्र उस जगह तक जाने के लिए था जहां कुछ देर बाद बाबरी मस्जिद गिराने की रिहर्सल होनी थी.. जैन से कहा गया था कि वह स्थल पर खुद को वीएचपी फोटोग्राफर के रूप में पेश करें... फिर शर्मा, जैन को रिहर्सल दिखाने के लिए ले गए, और वहीं उन्होंने तस्वीरें खींची. यही वह क्षण था जब प्रवीण जैन जान चुके थे कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाने वाला है...
जैन ने रिहर्सल के दौरान शर्मा के बगल में खड़े होकर खुलकर तस्वीरें क्लिक कीं. तब किसी ने भी उनपर भौहें नहीं उठाईं क्योंकि बीएल शर्मा उनके बगल में थे. विध्वंस की तैयारी किस लेवल पर थी, इसे देखकर प्रवीण जैन हैरान रह गए थे...
प्रवीण जैन और अयोध्या में ठहरे ज्यादातर पत्रकार, शान-ए-अवध होटल में रुके थे. उस शाम जब वे रिहर्सल से लौटे तो उन्होंने वहां मौजूद सभी पत्रकारों को बताया कि वह क्या देखकर आ रहे हैं और क्या योजना बनाई गई है... लेकिन तब किसी ने भी उनपर विश्वास नहीं किया था. तब मैंने अपने संपादक विनोद मेहता को फोन किया और उन्होंने भी उनपर विश्वास नहीं किया. वे अब और किसे ये बताते?
अगले ही दिन, बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था.
6 दिसंबर को जब विध्वंस की वास्तविक तस्वीरें मीडियाकर्मियों ने लेनी शुरू की, वीएचपी वर्कर्स ने उनके कैमरों को तोड़ना शुरू कर दिया...वर्कर्स को सारे सबूत मिटाने के निर्देश दिए गए थे. वे पत्रकारों पर उतना हमला नहीं कर रहे थे, जितना फोटोग्राफरों पर...
साथी फोटोग्राफरों पर हमले होते देख जैन ने वहां से निकलने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि मैंने अपने सिर को अपनी जैकेट से ढक लिया और इस वजह से वीएचपी वर्कर्स उनके कैमरे भी नहीं देख पाए... रघु राय और पाब्लो बार्थोलोम्यू जैसे नामचीन फोटोग्राफर्स को भी पीटा गया. निशाने पर जैन भी थे लेकिन वह मानस भवन में जाकर छिप गए जहां कई बड़े राजनेता ठहरे हुए थे.
जैन ने बताया- मैंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से फोटोग्राफरों पर हो रहे हमले को रोकने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. फोटोग्राफरों की पिटाई की योजना भी सुनियोजित थी.
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अपनी जान के डर से पत्रकार अपने होटल की ओर भागे... शहर में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए थे; घरों और कारों को आग के हवाले किया जा रहा था. जैन ने विध्वंस के पूर्वाभ्यास की जो तस्वीरें ली थीं, वे उस समय द पायनियर अखबार में प्रकाशित नहीं हुई थीं. तोड़फोड़ के बाद ही वे प्रकाशित हुईं.
तस्वीरें देखने के बाद कोर्ट में जैन को गवाही के लिए बुलाया गया. उस दौरान बयानों में शामिल होने के दौरान उन्हें कई धमकियां भी मिलीं... बचाव पक्ष के वकील उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए कोर्ट में अपमानित करने लगे...उन्होंने इस रवैये की शिकायत जज से भी की.
जैन ने बताया कि जब मुझे गवाही देनी होती थी, तो बचाव पक्ष के वकील जानबूझकर मेरी जिरह को दो या तीन दिनों के लिए बढ़ा देते थे. वे चाहते थे कि मैं अपने बयान से पलट जाऊं और कह दूं कि मैं 5 दिसंबर को अयोध्या में मौजूद नहीं था.
लेकिन मेरी तस्वीर सबूत थी. मेरी तस्वीर ने यह स्पष्ट कर दिया कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस अचानक हुई घटना नहीं थी; बल्कि यह पूर्वनियोजित एक साजिश थी.
ये तो हुई 6 दिसंबर को हुए बाबरी विध्वंस की बात... अब जानते हैं इसी दिन की दूसरी बड़ी घटनाओं के बारे में
1945 – फिल्ममेकर शेखर कपूर का जन्म हुआ
1956 – भारतीय संविधान निर्माता और देश के पहले कानून मंत्री बीआर अंबेडकर का निधन
1971 – 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत. पाकिस्तान ने आज ही के दिन भारत के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे
1985 – क्रिकेटर आरपी सिंह का जन्म हुआ
1988 – क्रिकेटर रविंद्र जडेजा का जन्म हुआ