Udaipur Murder: कन्हैयालाल की हत्या का जिम्मेदार कौन? रियाज-गौस को एक महीने में मिलेगी सजा!

Updated : Jul 16, 2022 19:25
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Deepak Singh Svaroci

Kanhaiyalal Brutal murder: राजस्थान के उदयपुर में जिस तरह टेलर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या (Kanhaiyalal Brutal murder) की गई, वह डरावना है, ख़ौफनाक है अमानवीय है. जानकारी के मुताबिक टेलर कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के समर्थन में पोस्ट लिखा था. इस वजह से नाराज होकर, दोनों आरोपियों ने टेलर की हत्या कर दी. दोनों ने एक वीडियो भी जारी किया है. इसमें दोनों हमलावर अपने हाथों में कटारनुमा तेज धारदार हथियार लिए हुए अपना जुर्म कबूल करते दिख रहे हैं. कटार पर ख़ून लगे हैं.

दोनों शख्स अपना जुर्म कबुल करते हुए कहते हैं, ''मैं मोहम्मद रियाज अंसारी और मेरे दोस्त मोहम्मद भाई, उदयपुर में सर कलम कर दिया है.'

इतना ही नहीं दोनों शख्स ने PM Modi को धमकी देते हुए कहा है, ''नरेंद्र मोदी सुन ले, आग तूने लगाई है और बुझाएंगे हम, इंसाअल्लाह मैं रब से दुआ करता हूं कि यह छुरा तेरी गर्दन तक भी जरूर पहुंचेगा. 

आरोपियों पर सनक इस कदर सवार है कि वह मौत का दिल दहला देने वाला वीडियो भी जारी करता है. इस वीडियो में दोनों हत्यारे टेलर की दुकान में जाकर कपड़ा सिलाने की बात करते हुए दिखाई देते हैं. एक शख्स अपना नाप दे रहा होता है तो दूसरा वीडियो बना रहा होता है. टेलर कन्हैयालाल नाप लेने में व्यस्त था, तभी उस पर हमला कर दिया जाता है. टेलर चीखता है, जान बख्शने की गुहार लगाता है, लेकिन हमलावर उसका गला रेत देते हैं. 

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सोचिए कन्हैयालाल के गुहार का भी दोनों हत्यारों पर कोई असर नहीं हुआ. उसपर सनक इस कदर सवार था कि वह हत्या तो कर ही रहा था, मौत का वीडियो भी बना रहा था. 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार दोपहर, पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने भरोसा दिया है कि अगले एक महीने में हत्यारों को सज़ा दिलाने की कोशिश होगी. CM ने पीड़ित परिवार को 51 लाख रुपए की आर्थिक सहायता का चेक सौंपा. वहीं मीडिया से बात करते हुए कहा कि NIA एक महीने के अंदर सजा दिला दे. NIA को समझना चाहिए कि प्रदेश के लोगों की भावना क्या है? कन्हैया को सुरक्षा दी गई या नहीं, क्या कमी रही, सभी चीजें NIA की जांच में सामने आ जाएगी. 

एक पोस्ट से शुरू हुआ विवाद और बीस दिनों की साजिश के बाद इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया. एकबार शुरू से समझते हैं. 

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8 जून :  कन्हैयालाल के विवादित पोस्ट से मामला शुरू हुआ. बाद में कन्हैयालाल ने खुद ही पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई और बताया कि उसके बच्चे से मोबाइल पर गेम खेलते हुए ग़लती से विवादित कंटेट पोस्ट हो गया... 

10 जून : शिकायत के मुताबिक इस दिन कुछ लोग कन्हैयालाल की दुकान पर पहुंचे. कॉल करने के बहाने फोन लिया और बताया कि कुछ पोस्ट हुआ है. इसके बाद फोन से पोस्ट डिलीट कर दी. 

11 जून : धानमांडी थाने से कन्हैया को फोन पर बताया गया कि उसके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई है. वह थाने पहुंचा तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. मालूम चला कि विवादित पोस्टर की वजह से पड़ोसी नाज़िम ने रिपोर्ट दी थी.

12 जून : इस दिन कन्हैया को कोर्ट से जमानत मिल गई. इसके बाद से उसकी दुकान बंद रही.  

13 जून : कन्हैया को पता चला कि कुछ लोग उसकी रेकी कर रहे हैं. 

15 जून : कन्हैया ने धानमांडी थाने में जाकर शिकायत दर्ज कराई और जान को लेकर ख़तरा बताया. शिकायत में बताया गया कि नाज़िम समेत कुछ अन्य पड़ोसियों ने उसके नंबर वायरल कर दिए थे. बाद में पुलिस ने दोनों को साथ बुलाकर सुलह कराई. कन्हैया ने लिखकर दिया कि वह कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते. 

16 जून : पुलिस ने दुकान पर सीसीटीवी लगाने को कहा. साथ ही कुछ दिन दुकान बंद रखने का भी सुझाव दिया. 

18 जून : पुलिस ने कन्हैयालाल से दुकान खोलने की सलाह दी. क्योंकि पिछले छह दिनों से दुकान बंद थी. 

19 जून : कन्हैयालाल ने अपना काम शुरू कर दिया. पुलिस भी जायज़ा लेकर गई. 

हालांकि इसके कुछ दिनों के बाद ही एक बार फिर से कन्हैयालाल को धमकी मिलने लगी. कन्हैया की बड़ी बहन नीमा देवी के मुताबिक 25 जून को दुकान पर एक महिला और पुरुष आए. दोनों ने उसे धमकी भी दी. इसके तीन दिन बाद यानी कि 28 जून को दोपहर में कन्हैया अपनी दुकान पर काम कर रहा था, तभी वहां मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद आए और दोनों ने गला रेतकर कन्हैयालाल की हत्या कर दी. 

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इस हत्याकांड के विरोध में गुरुवार को सर्व समाज की ओर से मौन जुलूस निकाला गया. हजारों लोगों का ज़ुलूस टॉउन हॉल से शुरू हुआ और कलेक्ट्रेट पहुंचा. बाद में लौटते हुए दिल्लीगेट चौराहे पर कुछ युवकों ने पत्थर फेंक दिए. जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया. 

पूरा घटनाक्रम दिखलाने का मकसद सिर्फ इतना था कि एक नफरती पोस्ट, जिसका कन्हैयालाल से कोई लेना-देना नहीं था. नूपुर शर्मा ने टीवी पर संभवत: अपनी राजनीति चमकाने के लिए बिना सोचे समझे बयान दे दिया. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने भी इस बयान से किनारा कर लिया. वह किसी तरह कन्हैयालाल के पास पहुंचा और किसी तरह सोशल मीडिया पर पोस्ट हो गया. इसके बाद पड़ोसियों में गुस्सा भड़का, उन्होंने धमकाकर या नंबर वायरल कर कन्हैयालाल को डराने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जो चिंगारी भड़काई वह कहीं और जाकर आग बन गई. जिसका शिकार मासूम कन्हैलाल हो गए. 

अब इस मौत के विरोध में कथित कुछ हिंदू संगठनों ने नफरती बयान बाजी की है. जिसमें खुलेआम धर्मविशेष के खिलाफ लोगों को भड़काया जा रहा है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है. इसमें कुछ ऐसी बातें बोली गई हैं जो दिखाना ठीक नहीं है. क्योंकि हमारा मकसद आपको भड़काना नहीं है. सिर्फ समझाना चाहता हूं कि आग कहीं भी लगे शिकार एक नागरिक ही होता है. 

हालांकि इन सब में अच्छी बात यह है कि दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने इस घटना की ना केवल निंदा की है. बल्कि इसे गैरइस्लामिक और गैरकानूनी बताया है. 

यह बयान इसलिए दिखला रहा हूं ताकि समझा सके कि धर्मगुरुओं का काम भड़काना नहीं, समझाना होता है. भड़काने से याद आया, 6 दिसंबर 2017 को  राजस्थान के राजसमंद में बंगाली मजदूर अफराजुल शेख की गैंती (कुल्हाड़ी) से हत्या कर दी जाती है. तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. हत्यारा शंभू लाल रैगर, अपने फेसबुक पर मर्डर का लाइव टेलीकास्ट करता है. बाद में वह जेल जाता है. कुछ दिनों बाद शंभू लाल, जब जमानत पर वापस आता है तो उसकी शान में जुलूस निकाले जाते हैं. 

दीपेंद्र राजा पांडे नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं, उदयपुर में आज जो हुआ, वह जहालत का चरम है। जहालत वह भी थी जब शंभू लाल रैगर ने ऐसा किया था, पर तब आप रैली निकालने में, हत्यारे के समर्थन में, झंडा लहराने में व्यस्त थे, तो आज किसलिए आंसू बहा रहे हैं ?? याद रखिए, कट्टरपंथ खतरनाक होता है, और उसका अंजाम उससे भी खतरनाक।

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वहीं मंज़ूर आलम नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि काश राजस्थान पुलिस शंभू लाल रेगर के साथ भी "मौके पर ही कायदे प्रसाद वितरण किया होता और"  थाने में खातिरदारी की होती तो..... आज इन दोनों को हिम्मत ना होती किसी की हत्या करने की!

अभिनव दास नाम के एक अन्य ट्विटिर यूजर ने लिखा, कुछ सिरफिरे हिंदुओं और कुछ सिरफिरे मुसलमानों की वजह से देश में सामाजिक सौहार्द का पूरा तानाबाना बिखर रहा है। दुर्भाग्य ही है कि सत्ता ऐसे लोगों को संरक्षण देती है! देश को पटरी पर लाने के लिए दो मिनट का मौन ज़रूरी है।

मैं यहां किसी की मौत को जायज़ या नाजायज़ नहीं ठहरा रहा. बल्कि यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि धर्म या राजनीति के नाम पर आमलोग शिकार बन रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि आप लोग राजनीतिक दल की तरह चीजों को ना देखें, ना समझें. एक नागरिक के तौर पर देखें और संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों में ही अपनी आस्था रखें. तभी देश की जीत हो सकती है. क्योंकि फायदा किसी भी राजनीतिक दल का हो, नुकसान आपका ही होना है. इसलिए हर हाल में नागरिक बने रहें.  

अंत में बात महाराष्ट्र की कर लेते हैं. जहां पर अब नई सरकार बनने जा रही है. पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा है कि एकनाथ शिंदे प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे. इतना ही नहीं फडणवीस ने मंत्रिमंडल में शामिल होने से भी इंकार किया है. आपको अगर समझना हो कि फडणवीस, खुद को पीछे धकेल कर शिंदे को सीएम क्यों बना रहे हैं तो आप सिर्फ शिंदे के बयान सुन लीजिए. वह जो कह रहे हैं बीजेपी दरअसल यही चाहती है कि लोगों में मैसेज यही जाए.

  • बीजेपी ने बड़ी पार्टी होते हुए भी मुझे मौका दिया.
  • देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा दिल दिखलाया
  • वह मंत्रिमंडल में भले ना हों लेकिन मार्गदर्शन करेंगे
  • बड़ी पार्टी होते हुए भी शिवसेना का सीएम चुना
  • मुझ जैसे छोटे कार्यकर्ता पर भरोसा जताने के लिए आभार...

बाकी 22 जून के कार्यक्रम में मैंने संभावना व्यक्त करते हुए कहा था कि एकनाथ शिंदे सीएम बन सकते हैं. क्यों कहा था जानने के लिए ये देखें...  

और पढ़ें- Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे की उद्धव ठाकरे से बगावत या BJP का 'बदला', संकट के मायने क्या?

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