UP Elections 2022 : 35 सालों की 'टाइम मशीन'!

Updated : Jan 13, 2022 20:08
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Editorji News Desk

उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझने के लिए आपको बीते 35 सालों के चुनाव को समझना पड़ेगा. जब-जब यूपी में सत्ता संभली, केंद्र में बनने वाली सरकार भी मजबूत रही और जब जब प्रदेश में राजनीतिक हालात डांवाडोल हुए, सीधा असर भी केंद्र पर हुआ. आइए आंकड़ों की टाइम मशीन के जरिए समझते हैं प्रदेश में 35 साल के चुनावी इतिहास को...

Uttar Pradesh Assembly Elections 1985 - नवीं विधानसभा (1985–89) (1985 चुनाव)

किसे कितनी सीटें

कांग्रेस - 269
लोकदल - 84
जनता पार्टी - 20
बीजेपी - 16
अन्य - 36

1985 में हुए विधानसभा चुनाव में 425 सीटों पर वोट डाले गए थे. कांग्रेस को 269 वोट मिले. दूसरा सबसे बड़ा दल लोकदल था, जिसे 84 सीटें मिली. इसके बाद निर्दलीय 23, जनता पार्टी 20, बीजेपी 16, सीपीआई 6, सीपीएम 2, कांग्रेस (जे) 5 थे.

प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बनी, नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने. तिवारी का कार्यकाल 1 वर्ष 52 दिन तक ही रहा. इनके बाद वीर बहादुर सिंह को CM की कुर्सी मिली. वह 2 वर्ष 274 दिन तक सीएम रहे. इनके बाद, फिर इसी विधानसभा के कार्यकाल में नारायणदत्त तिवारी सीएम बने. इस भी वह 1 वर्ष से कुछ ज्यादा समय के लिए ही सीएम बने. इस बार उनका कार्यकाल 1 वर्ष 163 दिन तक का था.

यूपी विधानसभा 1985 - मुख्यमंत्री

नारायण दत्त तिवारी (कांग्रेस) - 3 अगस्त 1984-24 सितम्बर 1985 (1 वर्ष, 52 दिन)
वीर बहादुर सिंह (कांग्रेस) - 24 सितम्बर 1985-24 जून 1988 (2 वर्ष, 274 दिन)
नारायण दत्त तिवारी (कांग्रेस) - 25 जून 1988-5 दिसम्बर 1989 (1 वर्ष, 163 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 1989 - दसवीं विधानसभा (1989–91) (1989 चुनाव)

यही वह चुनाव थे, जब पहली बार प्रदेश में कांग्रेस की जमीन खिसकनी शुरू हुई. प्रदेश के इन चुनावों में जनता दल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जनता दल को 208 सीट मिली. कांग्रेस को मात्र 94 सीट से ही संतोष करना पड़ा. बीजेपी इन चुनावों में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, उसे 57 सीट मिली. इसके बाद बीएसपी को 13, सीपीआई को 6, लोक दल को 2, जनता पार्टी को 1 सीट मिली. निर्दलीय 40 सीट जीतकर आए.

देखें- UP Election 2022: यूपी के बहुचर्चित खूनी कांड का गवाह बने बिकरू में क्या है चुनावी माहौल?
 

किसे कितनी सीटें

जनता दल - 208
कांग्रेस - 94
बीजेपी - 57
बीएसपी- 13
अन्य - 53

मुख्यमंत्री: इस विधानसभा का कार्यकाल 1 वर्ष 201 दिन का रहा. जनता दल की इस सरकार में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री रहे.

यूपी विधानसभा 1989 - मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव (जनता दल) - 5 दिसम्बर 1989-24 जून 1991 (1 वर्ष, 201 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 1991 - ग्यारहवीं विधानसभा (1991–92) (1991 चुनाव)

इन चुनावों में बीजेपी ने यूपी का राजनीतिक इतिहास बदल दिया. पार्टी ने अपने सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ते हुए 221 सीटें हासिल की. पार्टी अकेले दम पर सत्ता में पहुंची. बीजेपी के इस उभार के साथ ही कांग्रेस सिमटती चली गई. जनता दल को 92 सीट मिली, कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही, उसे 46 सीटें मिली, जनता पार्टी को 34 सीटें मिली, बीएसपी को 12, सीपीआई को 4, सीपीएम को 1, शिव सेना को 1, शोषित समाज दल को 1 सीट मिली. निर्दलीयों के हिस्से में 7 सीटें गईं. इस बार कुल 419 सीटों पर चुनाव हुए थे.

किसे कितनी सीटें

बीजेपी - 221
जनता दल - 92
कांग्रेस - 46
जनता पार्टी - 34
बीएसपी - 12
अन्य - 14

मुख्यमंत्री - अतरौली से चुनाव जीतकर आए कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे. कुल 1 वर्ष 165 दिन तक कल्याण मुख्यमंत्री रहे. 6 दिसंबर 1992 को राज्य सरकार को भंग कर दिया गया और राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. यह राष्ट्रपति शासन 6 दिसंबर 1992 से 4 दिसंबर 1993 तक यानी 363 दिन तक जारी रहा.

यूपी विधानसभा 1991 - मुख्यमंत्री

कल्याण सिंह (बीजेपी) - 24 जून 1991-6 दिसम्बर 1992 (1 वर्ष, 165 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 1993 - बारहवीं विधानसभा (1993–95) (1993 चुनाव)

यूपी में 6 दिसंबर 1992 इतिहास की एक ऐसी तारीख बन चुकी थी, जिसे राजनीतिक पृष्ठभूमि से कभी नहीं मिटाया जा सकता था. 1993 में जब चुनाव हुए तो पहली बार समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ साथ मिलकर चुनाव लड़ा.

जब चुनावी नतीजे आए, तो वे साफ तौर पर बीजेपी को इस गठबंधन की वजह से हुए नुकसान की ओर इशारा कर रहे थे. हालांकि, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही लेकिन 177 सीटों के साथ वह सत्ता में अकेले दम पर नहीं पहुंच सकती थी. एसपी को 109 और बीएसपी को 67 सीटें मिलीं. कांग्रेस को 28, जनता दल को 27 सीटें मिलीं.

सीपीआई को 3, सीपीएम को एक, जनता पार्टी को 1, उत्तराखंड क्रांति दल को 1 और निर्दलीयों को 8 सीटें मिलीं. प्रदेश में कुल 422 सीटों पर चुनाव हुए थे.

किसे कितनी सीटें

बीजेपी - 177
एसपी - 109
बीएसपी- 67
कांग्रेस - 28
जनता दल - 27
अन्य - 14

मुख्यमंत्री - एसपी-बीएसपी ने मिलकर सरकार बनाई. 4 दिसंबर 1993 को मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. वह 3 जून 1995 तक यानी 1 वर्ष 181 दिन तक मुख्यमंत्री रहे. मुलायम के बाद मायावती ने समझौते के तहत 3 जून 1995 को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ किया गया ये प्रयोग कामयाब नहीं हुआ. गेस्ट हाउस कांड ने इस सरकार पर संकट के बादल खड़े कर दिए. बीजेपी का मायावती को समर्थन ज्यादा दिन नहीं टिका. मायावती महज 137 दिन यानी 18 अक्टूबर 1995 तक सीएम रहीं.

प्रदेश सरकार भंग हो गई और राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. इस बार राष्ट्रपति शासन 18 अक्टूबर 1995 से 21 मार्च 1997 यानी कुल 1 वर्ष 154 दिन तक लागू रहा.

यूपी विधानसभा 1993 - मुख्यमंत्री

मुलायम सिंह यादव (एसपी) - 4 दिसम्बर 1993-3 जून 1995 (1 वर्ष, 181 दिन)
मायावती (बीएसपी) - 3 जून 1995-18 अक्टूबर 1995 (137 दिन)

इसके बाद प्रदेश ने फिर राष्ट्रपति शासन देखा. 1 वर्ष, 154 दिन तक प्रदेश में यही व्यवस्था रही.

राष्ट्रपति शासन - 18 अक्टूबर 1995-21 मार्च 1997 (1 वर्ष, 154 दिन) 

Uttar Pradesh Assembly Elections 1996 - तेरहवीं विधानसभा (1996–2002) (1996 चुनाव)

इन चुनावों के नतीजे में बीजेपी को 174, एसपी को 110, बीएसपी को 67, कांग्रेस को 33, निर्दलीयों को 13 सीट मिली. भारतीय किसान कामगार पार्टी को 8, जनता दल को 7, सीपीएम को 4, कांग्रेस (तिवारी) को 4, समता पार्टी को 2, सीपीआई को 1, समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) को 1 सीट मिली थी.

किसे कितनी सीटें

बीजेपी - 174
एसपी - 110
बीएसपी - 67
कांग्रेस - 33
अन्य- 40

मुख्यमंत्री - उत्तर प्रदेश की राजनीति अब डांवाडोल स्थिति में ही नजर आती रही. गेस्ट हाउस कांड के बाद हुए इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बनी लेकिन फिर भी राज्यपाल रोमेश भंडारी ने पार्टी को सरकार बनने के लिए आमंत्रित नहीं किया. मामला कोर्ट की चौखट तक जा पहुंचा. विधानसभा 6 महीने निलंबित रखी गई.

जब सरकार की सूरत बनी तो 6-6 महीने का फॉर्मूला सामने था और पार्टियां थी बीजेपी और बीएसपी. जो न करना हो, यह राजनीति वह करवाए. पहले 6 महीने (21 मार्च 1997 - 21 सितंबर 1997) तक मायावती मुख्यमंत्री रहीं. जब बीजेपी की बारी आई तो बीच में अपने फैसलों को पलटने से नाराज मायावती ने समर्थन वापस ले लिया.

राज्यपाल ने दो दिन में कल्याण सिंह की सरकार को बहुमत साबित करने को कहा. सदन में बहुमत परीक्षण वाले दिन चप्पल-माइक सब चले. कल्याण सिंह ने 222 विधायकों का समर्थन जैसे तैसे जुटाया और राज्य में बीजेपी की सरकार चलती रही. पहले कल्याण सिंह, फिर रामप्रकाश गुप्त और फिर राजनाथ सिंह प्रदेश में मुख्यमंत्री रहे.

यूपी विधानसभा 1996 - मुख्यमंत्री

मायावती (एसपी) - 21 मार्च 1997-21 सितम्बर 1997 (184 दिन)

कल्याण सिंह (बीजेपी) - 21 सितंबर 1997 - 12 नवंबर 1999 (2 साल 52 दिन)

रामप्रकाश गुप्त (बीजेपी) - 12 नवंबर 1999 - 28 अक्टूबर 2000 (351 दिन)

राजनाथ सिंह (बीजेपी) - 28 अक्टूबर 2000 - 8 मार्च 2002 (1 वर्ष, 131 दिन)

प्रदेश में एक बार फिर राष्ट्रपति शासन लगा.

राष्ट्रपति शासन - 8 मार्च 2002-3 मई 2002 (56 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 2002 - चौदहवीं विधानसभा (2002–07) (2002 चुनाव)

चौदहवीं विधानसभा में सबसे बड़ी बात ये थी कि उत्तराखंड नया राज्य बनाया जा चुका था. इस चुनाव में पहली बार 403 सीटों पर चुनाव हुआ. यही व्यवस्था आज भी लागू है. इन चुनावों में सबसे बड़ा दल समाजवादी पार्टी बनी. 143 सीटों के साथ वह सरकार बनाने से दूर थी लेकिन सत्ता के पास. बीएसपी को 98, बीजेपी को 88, कांग्रेस को 25 सीटें मिलीं. सीपीएम को 2, जेडीयू को 2, अपना दल को 3, आरएलडी को 14, राष्ट्रीय क्रांति दल को 4, अन्य को बाकी सीटें मिली थीं.

किसे कितनी सीटें

एसपी - 143
बीएसपी - 98
बीजेपी - 88
कांग्रेस - 25
आरएलडी - 14
अन्य- 33

मुख्यमंत्री - 56 दिन (8 मार्च 2002-3 मई 2002) राष्ट्रपति शासन के बाद, मायावती एक बार फिर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. 3 मई 2002 से से 29 अगस्त 2003 तक वह सीएम रहीं. त्रिशंकु विधानसभा में मायावती ने बीजेपी से नाराजगी के चलते इस्तीफा दे दिया और फिर शुरू हो गया सत्ता का संघर्ष. आखिरकार एसपी को बीजेपी, कांग्रेस और आरएलडी का समर्थन मिला और मुलायम सिंह यादव सीएम बने. मुलायम सिंह यादव, 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक कुल 3 वर्ष, 257 दिन तक प्रदेश के मुखिया रहे.

यूपी विधानसभा 2002 - मुख्यमंत्री

मायावती (बीएसपी) - 3 मई 2002-29 अगस्त 2003 (1 वर्ष, 118 दिन)
मुलायम सिंह यादव (एसपी)- 29 अगस्त 2003-13 मई 2007 (3 वर्ष, 257 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 2007 - पंद्रहवीं विधानसभा (2007–12) (2007 चुनाव)

अब भारत की राजनीति परिपक्व हो रही थी और यूपी ही इसका सूत्रधार थी. प्रदेश में हुए चुनाव में जनता ने स्पष्ट जनादेश बीएसपी को दिया. ब्राह्मण-दलित फॉर्मूले ने कामयाबी पाई और बीएसपी के खाते में 206 सीटें आ गईं. एसपी को 97 सीटें मिलीं जबकि बीजेपी को 51. कांग्रेस को 22, आरएलडी को 10, आरपीडी को 2 व बाकी सीटें अन्य को मिलीं.

किसे कितनी सीटें

बीएसपी - 206
एसपी- 97
बीजेपी - 51
कांग्रेस - 22
आरएलडी - 10
अन्य- 17

मुख्यमंत्री - मायावती ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली


यूपी विधानसभा 2007 - मुख्यमंत्री

मायावती - 13 मई 2007-15 मार्च 2012 (4 वर्ष, 307 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 2012 - सोलहवीं विधानसभा (2012–17) (2012 चुनाव)

2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी. मुलायम सिंह यादव ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने पुत्र अखिलेश यादव को सौंपी. इन चुनावों में एसपी के लिए कैंपेन भी प्रमुख तौर पर अखिलेश ने ही किया था. एसपी को 224, बीएसपी को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, आरएलडी को 9, पीस पार्टी को 4, कौमी एकता दल को 2, व बाकी सीटें अन्य को मिलीं.

किसे कितनी सीटें

एसपी - 224
बीएसपी - 80
बीजेपी - 47
कांग्रेस - 28
आरएलडी - 9
अन्य- 15

मुख्यमंत्री - समाजवादी पार्टी के नए सुल्तान अखिलेश यादव (टीपू) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली

यूपी विधानसभा 2012 - मुख्यमंत्री

अखिलेश यादव (एसपी): 15 मार्च 2012-19 मार्च 2017 (5 वर्ष, 4 दिन)

Uttar Pradesh Assembly Elections 2017 - सत्रहवीं विधानसभा (2017 चुनाव) 

इन चुनावों में बीजेपी ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की. अकेले पार्टी को 312 सीटें मिली. सहयोगियों के साथ ये आंकड़ा और बढ़ गया. बीजेपी ने न सिर्फ ये चमत्कारी संख्या को छुआ बल्कि उसने ऐसा प्रदेश में बिना मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किए किया. नतीजों में दूसरे सभी दल बौने साबित हो गए. बीएसपी को 19, एसपी को 47, कांग्रेस को 7 सीटें मिलीं. अपना दल व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, एनडीए के ही सहयोगी थे. इन्हें क्रमशः 9 और 4 सीटों पर जीत मिली.

किसे कितनी सीटें

बीजेपी - 312
एसपी- 47
बीएसपी - 19
कांग्रेस - 7
अन्य - 18

मुख्यमंत्री - योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

यूपी विधानसभा 2017 - मुख्यमंत्री

योगी आदित्यनाथ (बीजेपी): 17 मार्च 2017

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