Today in History 13 June : आज से 25 साल पहले सनी देओल (Sunny Deol) की फिल्म बॉर्डर (Border) आई थी...उसके एक-एक डायलॉग पर पूरा देश फिदा था...कलाकारों की अदाकारी और निर्देशन की वजह से फिल्म तो सुपर-डुपर हिट हो गई...लेकिन दिल्ली में इस फिल्म का फर्स्ट डे-फर्स्ट शो 59 लोगों की जिंदगी का लास्ट शो साबित हुआ...वो तारीख थी 13 जून 1997 की और वो कांड था उपहार सिनेमा अग्निकांड (Uphaar Cinema Fire)...इस कांड ने दिल्ली ही नहीं पूरे देश को हिला कर रख दिया था. मरने वाले 59 लोगों में से 23 बच्चे थे. सबसे छोटा बच्चा महज एक महीने का था..
नीलम कृष्णमूर्ति...(Neelam Krishnamurthy) दिल्ली के कालकाजी में रहती हैं...वे 13 जून 1997 की उस तारीख को हमेशा कोसती रहती हैं कि क्योंकि उसी दिन उन्होंने अपने दोनों बच्चों उन्नति और उज्जवल के लिए बॉर्डर फिल्म की टिकट खरीदी थी... दोनों बच्चों को थियेटर में छोड़ने के लिए उनके पति शेखर कृष्णमूर्ति गए थे. पहला शो दोपहर 3.15 मिनट पर था. लेकिन दोनों बच्चे थियेटर के अंदर गए तो फिर कभी घर लौट कर नहीं आए पाए... नीलम को पता है कि यदि वे दोनों जिंदा होते तो उन्नति 41 और उज्जवल 36 साल का होता...
ये भी पढ़ें| Nupur Sharma Hate Speech: क्या पैगंबर मोहम्मद विवाद ने मुसलमानों को एकजुट होने का मौका दिया?
BBC को नीलम ने जो बताया उसके मुताबिक शाम करीब 4.55 मिनट पर उपहार सिनेमाहॉल के ग्राउंड प्लोर पर मौजूद ट्रांसफॉर्मर रूम में आग लगी...लपटें तेजी से फैलने लगीं. इन सब से बेखबर लोग फिल्म देखने में लगे रहे. कुछ चश्मदीद तो ये भी कहते हैं कि आग लगने की शुरू में जानकारी इसलिए नहीं मिली क्योंकि बॉर्डर मूवी में धमाके की आवाजों में आग की आवाज छिप गई. उधर कुछ ही देर में आग की लपटें हॉल के अंदर तक पहुंच गईं. हॉल चारों तरफ से बंद था. ऐसे में लोग भाग नहीं सकें. कुछ लोग जिंदा जल गए तो कुछ भगदड़ में कुचल कर खत्म हो गए. जो लोग ऊपर की मंजिल में थे वो खिड़कियों से बाहर कूदने लगे. इस हादसे में 103 लोग बुरी तरह घायल भी हुए थे...हादसा इसलिए भी और भयानक हो गया क्योंकि दमकल की गाड़ियां ग्रीन पार्क में लगी जाम में फंस गईं. इस पूरी घटना ने दिल्ली ही नहीं पूरे देश को हिला कर रख दिया.
उधर, जैसे-जैसे हादसे की जांच आगे बढ़ी हमारे सिस्टम की पोल खुलती गई...थियेटर से बाहर निकलने का सिर्फ एक रास्ता था...आग से बचने के लिए पूरी इमारत में पुख्ता इंतजाम नहीं थे. पुलिस ने थियेटर के मालिक सुशील और गोपाल अंसल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया. लेकिन मुश्किल ये थी कि उनके खिलाफ पुख्ता केस तैयार नहीं हो पा रहा है...दूसरी तरफ नीलम कृष्णामूर्ति और दूसरे उपहार पीड़ित लोगों ने संगठन बनाकर संघर्ष तेज कर दिया...नतीजा ये हुआ कि 24 जुलाई 1997 को ये केस सीबीआई को ट्रांसफर हो गया. निचली अदालत ने हादसे के लिए अंसल बंधुओं को दोषी ठहराया और दो साल की सजा सुनाई...मामला फिर हाईकोर्ट में पहुंचा. कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल कर अंसल बंधुओं ने सजा को कम कराकर एक साल करवा लिया. लेकिन उपहार पीड़ित हार मानने को तैयार नहीं थे...वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे..जहां से साल 2015 में अदालत ने पीड़ितों को 30-30 करोड़ रुपये जुर्माना भरने और एक साल की सजा का फैसला सुनाया. यानी उपहार पीड़ितों को इंसाफ 18 सालों बाद मिला..
चलते-चलते आज की तारीख में दूसरी बड़ी खबरों पर भी निगाह मार लेते हैं.