क्या आकाश मैच्योर नहीं हैं या मायावती उनको लेकर श्योर नहीं है...यही कुछ सवाल हैं जिनका जवाब राजनीतिक पंडितों से लेकर पॉलिटिक्स की समझ रखने वाले तक ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.
क्या आकाश मैच्योर नहीं हैं या मायावती उनको लेकर श्योर नहीं है...यही कुछ सवाल हैं जिनका जवाब राजनीतिक पंडितों से लेकर पॉलिटिक्स की समझ रखने वाले तक ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.
मंगलवार का दिन आकाश की राजनीतिक पिच के लिए शनि बनाकर आया और उन्हें क्लीन बोल्ड कर गया. भतीजे आकाश की मैच्योरिटी पर सवाल खुद मायावती ने ही उठाए जिसकी तस्दीक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए कई कई सिलसिलेवार पोस्ट्स करते हैं. अब मायावती का ये पोस्ट ही देख लीजिए-
इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, श्री आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है.
एक तरफ जहां बसपा सुप्रीम मायावती ने आकाश को जिम्मेदारियों से अलग करने का फैसला लिया तो वहीं पार्टी के भीतर से ही विरोधी सुर उठने लगे हैं. कई राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि आकाश को अपने आक्रामक बयानों और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने की सजा मिली है-
मायावती नहीं करना चाहतीं BJP को नाराज?
तो क्या बीजेपी के खिलाफ बोलने पर आकाश पर गाज गिरी है?
ये बयान आकाश ने 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में सीतापुर की रैली में दिया. खबर है कि उन्होंने लोगों से बीजेपी की सरकार को जूतों से जवाब देने की भी बात कही थी. आक्रामक भाषणों की वजह से आकाश पर चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में दो केस भी दर्ज हुए.
क्या आकाश को लेकर ओवर प्रॉटेक्टिव हैं मायावती?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुनीता एरोन ने बीबीसी से बातचीत में कहा-
मायावती आकाश आनंद को लेकर ओवर प्रॉटेक्टिव हैं. वो नहीं चाहतीं कि इस समय वो कोई मुश्किल में फंसे. और इससे भी बड़ी बात ये है कि वो इस समय बीजेपी से अपना संबंध नहीं बिगाड़ना चाहतीं.
क्या बसपा को बयानों से हो रहा था नुकसान?
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता ने भी इस मुद्दे पर BBC से बातचीत की-
"इस चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद जिस तरह से आक्रामक शैली में भाषण दे रहे थे उससे उन्हें समाजवादी पार्टी को फायदा होता दिख रहा था. शायद यही वजह है कि मायावती ने आकाश आनंद को नेशनल को-ऑर्डिनेटर के पद से हटाकर हालात संभालने की कोशिश की है.’’
लंदन से एमबीए करके लौटे आकाश 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा की राजनीति में काफी एक्टिव हुए और उन पर चली ये कैंची कुछ और ही इशारा कर रही है. राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तो यहां तक हैं कि बसपा के लिए ये चुनाव करो या मरो का है और पार्टी किसी भी तरह के रिस्क को लेने के मूड में नहीं है. जो भी हो ये तो वक्त ही बताएगा कि मायावती का ये फैसला पार्टी के लिए बैकफायर करेगा या उसे और हायर ले जाएगा.
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