Urdu Language History and Development : हिन्दी वाले हिंदुस्तान में कैसे हुआ उर्दू का जन्म? | Jharokha

Updated : Nov 18, 2022 18:41
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Mukesh Kumar Tiwari

Urdu Language history and development : हम और आप उर्दू में शायरी सुनते-पढ़ते हैं, नज़्म सुनते-पढ़ते हैं, गीत भी पसंद करते हैं लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि उर्दू भाषा का जन्म (Urdu Language Origin) कैसे हुआ? उर्दू भाषा आई कहां से (from where Urdu Language came) है?

उर्दू भाषा का इतिहास (Urdu Language History) क्या है? अगर आप अभी तक इन सवालों को नहीं जान पाए हैं, तो ये एपिसोड आप ही के लिए है. इस एपिसोड में आपको उर्दू भाषा से जुड़ी हर तरह की जानकारी (Complete Information about Urdu Language) मिलेगी.

उर्दू (Urdu Language) रूह तक पहुंचने वाली भाषा है. यह एक ऐसी भाषा है जो गजलों में जिंदगी भर देती है... यही वजह है कि उर्दू में लिखे गीत, शायरी और नज्म हमारे दिलों तक पहुंचते हैं...

उर्दू एक इंडो-आर्यन लैंग्वेज (Indo-Aryan languages) है जो इंडो-यूरोपीय लैंग्वेज फैमिली (Indo European Language Family) से से आती है. यह दुनिया भर में लगभग 7 करोड़ लोगों की मातृ भाषा है और भारत और पाकिस्तान में 10 करोड़ से ज्यादा लोग इसे दूसरी भाषा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.

झरोखा में आज इस भाषा का जिक्र इसलिए क्योंकि आज विश्व उर्दू दिवस (World Urdu Day) है... 

हिंदी मां है, उर्दू मौसी || Hindi and Urdu are Sisters

भारत में एक कहावत बहुत मशहूर है. भाषाओं को लेकर कहा जाता है कि अगर हिंदी (Hindi Language) हमारी मां है तो उर्दू मौसी है. इससे साफ है कि भारत में भाषाओं को कितना महत्व दिया जाता है, साथ ही, इसमें उर्दू का महत्व किस तरह से है, ये भी पता चलता है. 

ये भी देखें- Hindi Diwas : कैसे बनी हिन्दी? कैसे बना भाषा का इतिहास? हिन्दी दिवस पर History of Hindi

उर्दू हिंदुस्तानी भाषा (Indian Language) का एक ऐसा रूप है जिसे भारत और पाकिस्तान में अपनाया गया. उर्दू भाषा को जानने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को भी टटोलना होगा. उर्दू भाषा की गूंज दिल को भाती है. इसे 'तहज़ीब' और 'तमीज़' की भी भाषा भी कहते हैं.

उर्दू का जन्म कबसे है? || Urdu Language is how much old?

इस भाषा के जन्म से जुड़े कई सिद्धांत हैं. कुछ लिंग्विस्ट मानते हैं कि उर्दू छठी शताब्दी की भाषा है, जबकि कई मानते हैं कि यह पश्चिमी  (Western India) में बोली जाने वाली बोली बृजभाषा से विकसित हुई. कुछ अनुमान लगाते हैं कि भाषा की उत्पत्ति हरियाणवी भाषा (Haryanvi Language) से हुई है, जो दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate) के काल में बोली जाती थी. उर्दू के शुरुआती रूप को खड़ीबोली और पुरानी हिंदी नाम दिए गए थे.

दिल्ली सल्तनत के काल में फारसी थी आधिकारिक भाषा | Persian was official language in Delhi Sultanate

दिल्ली सल्तनत (Delhi Sultanate) के शासकों ने फारसी को अपनी आधिकारिक भाषा बनाया था. पूरे मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) में भी ऐसा ही रहा. दिल्ली सल्तनत के दौर में, 13वीं शताब्दी में एक प्रसिद्ध विद्वान अमीर खुसरो (Amir Khusrow) ने भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

उन्हें 'उर्दू साहित्य के पिता' (Amir Khusro- Father of Urdu Literature) के रूप में जाना जाता था और उन्होंने फारसी और उर्दू (Persian and Urdu) दोनों में विभिन्न कविताओं, कहानियों, सूफी संगीत, कव्वाली और शायरी की रचना की थी, जिसे पहले हिंदवी (Hindavi Language) के नाम से जाना जाता था.

उर्दू को दिए गए कई नाम || Urdu language got many names

भारत में उर्दू का जन्म 12वीं शताब्दी के दौर से माना जाता है. उस समय इस भाषा का प्रचलित नाम उर्दू नहीं बल्कि हिंदवी था. जब इसे बोलने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी और अलग अलग राज्यों में बोली जाने लगी तो इसके अलग अलग नाम भी सामने आने लगे, जैसे- ज़बान-ए-हिन्द, रेख़्ता, ज़बान-ए-देहली, हिंदी, गुजरी, दक्कनी, ज़बान-ए-उर्दू-ए-मुअल्ला और उर्दू.

उर्दू का अर्थ है- सेना की छावनी || Meaning of Urdu is Army Cantonment

उर्दू शब्द तुर्की फारसी भाषा का है, पर अब हमारे देश की किसी भाषा का एक शब्द जैसा लगता है, ठीक वैसे ही जैसे हफ्ता शब्द मूलतः संस्कृत (सप्त-सात, अह-दिन) का है, पर अब लगता है कि जैसे वह कोई फारसी जैसा शब्द हो, जो पश्चिम से अपना सफर पूरा करता हुआ अपने देश में आ पहुंचा हो.

बेशक यह भी उतना ही सच है कि इस देश की भाषा यानी संस्कृत होने के बावजूद अपने नए रूप में यह पश्चिम से सफर करता हुआ यहां आ गया है. उर्दू का अर्थ है- सेना की छावनी (Army Cantonment)

तुर्की फारसी में शब्द का यही मतलब है, और मुस्लिम शासक जब यहां अपने सैनिक तुर्की से लाए तो दिल्ली के आसपास के इलाकों में बनी अपनी छावनियों को वे विदेशी तुर्की सैनिक 'उर्दू' ही कहते थे. धीरे धीरे हर किस्म के सैनिकों की छावनी को उर्दू कहा जाने लगा.

उर्दू ने कैसे लिया भाषा का रूप? || How did Urdu took the form of a language?

सवाल है- फिर उर्दू एक भाषा के रूप में कैसे इस्तेमाल होने लगी? उर्दू में रहने वाले इन सैनिकों की रोजमर्रा की चीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से वहां आसपास बाकायदा एक बाजार लगता था. जाहिर है कि बाजार लगानेवाले छोटे खुदरा व्यापारी कोई विदेशी नहीं थे.

वे यहीं के थे और यहीं की भाषा यानी हिंदी बोलते थे. सैनिकों को हिंदी नहीं आती थी और व्यापारियों को सैनिकों की भाषा नहीं आती थी. धीरे धीरे सैनिक लोग अपनी जरूरतों को अपनी विदेशी भाषाओं, तुर्की, फारसी, अरबी आदि के शब्दों के सहारे व्यक्त करने लगे और व्यापारी लोग उन शब्दों को अपनी भाषा यानी हिंदी की वाक्य रचना में ढालकर इस्तेमाल कर लेते.

इस जरूरत ने जिस बोली को जन्म दिया, उसे बजाय हिंदी के उर्दू इसलिए कहना शुरू कर दिया गया क्योंकि वह उर्दू बाजारी यानी सैनिक छावनी के बाजार में पैदा हुई थी.

मामला लगभग वैसा ही है जैसे बंबई की फिल्मी दुनिया में, अलग अलग तरह के लोग काम की तलाश में आते हैं, वहां इन सब लोगों की भाषाओं के शब्दों के बोलने के लहजे के दबाव की वजह से एक नई किस्म की हिंदी का विकास हुआ, जिसे बंबइया हिंदी कहा जाता है. 

जाहिर है कि उर्दू कोई विदेशी भाषा या बोली नहीं है. यह भी जाहिर है कि यह मुसलमानों की भाषा या बोली भर ही नहीं है. ऊपर से यह भी जाहिर है कि यह मुसलमानों की कोई धर्मभाषा तो नहीं ही है. उर्दू सिर्फ हिंदी का वैसा ही एक आकर्षक रूपांतर है जैसे विकसित हो चुकी बंबईया हिंदी स्तरीय हिंदी का ही एक स्थानीय रूप है.

हां, उसमें उर्दू के जैसी दिलकश कविताएं या शायरियां अभी भी नहीं है. 

भारत में मुशायरे वैसे तो फारसी शायरी के लिए शुरू हुए थे लेकिन जब उर्दू के रूप में एक नई भाषा सामने आई तो मुशायरे की लोकप्रियता ने धूम मचा दी थी. 

उर्दू को सरकारी मान्यता दक्षिण भारत में मिली || Urdu got official recognition in South India

उर्दू पूरी तरह से भारतीय भाषा है लेकिन उसका भौगोलिक इलाका हिंदी जैसा नहीं है और न ही यह किसी एक प्रदेश तक सीमित मानी जा सकती है. निजाम (Hyderabad Nizam) की रियासत में वह एक राजभाषा थी और शिक्षा के माध्यम के रूप में उसे सरकारी मान्यता प्राप्त थी. उर्दू का जन्म भले ही दिल्ली में हुआ हो, लेकिन साहित्यिक मान्यता पहली बार दक्षिण में ही मिली.

उसका भौगोलिक विस्तार भारत में हुआ लेकिन पाकिस्तान बन जाने के बाद उर्दू पाकिस्तान में पहुंच गई. भारत में आज वह प्रधान रूप से कश्मीर (kashmir) में है. इसके साथ साथ सभी हिंदी प्रदेशों में उर्दू की मौजूदगी है. दक्षिण भारत में हैदराबाद रियासत के प्रभाव की वजह से महाराष्ट्र, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में भी उर्दू का प्रचलन है.

ये भी देखें- Jamnalal Bajaj: महात्मा गांधी संग साए की तरह चलने वाले Bajaj Group फाउंडर जमनालाल की कहानी

आमिर खुसरो और ख्वाजा मोहम्मद हुसैनी द्वारा उर्दू साहित्य का प्राचीन विकास देखने को मिलता है. 1837 में उर्दू भाषा अंग्रेजी के साथ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की आधिकारिक भाषा बन गई. इसी दौरान मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib) और अल्लामा इकबाल (Allama Iqbal) जैसे दिग्गज उर्दू कवियों ने अपनी रचनाओं से इसे और भी मशहूर कर दिया. मुस्लिम छात्रों को आकर्षित करने के लिए अंग्रेजों ने इसे सरकारी संस्थानों में पढ़ाना शुरू किया.

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