रणक्ष राणा
एक्टर रणक्ष राणा ने गुलशन नंदा की किताब पर आधारित राजेश खन्ना औरआशा पारेख की हिट फिल्म कटी पतंग अद्भुत बताया. उन्होंने कहा कि आशा पारिख ने फिल्म में विधवा के रूप में कमाल की परफॉर्मेंस दी. उन्होंने कहा कि उद्योग में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए, हमारे पास अंग्रेजी के अलावा हिंदी में भी क्रेडिट टाइटल होने चाहिए. साथ ही हिंदी साहित्य की किताबों पर आधारित और फिल्में बननी चाहिए. हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इस भाषा पर गर्व होना चाहिए. टीवी शो को भी उपन्यासों पर आधारित बनाया जाना चाहिए. मालगुडी डेज सीरियल को हम आज तक नहीं भूले हैं.
प्रणिता पंडित
ने कहा कि मुझे फिल्म 'देवदास' में दिलीप कुमार का किरदार बहुत पसंद आया जो शरत्चंद्र चट्टोपाध्याय के बंगाली उपन्यास से प्रेरित था. यह किरदार आज तक मेरे जहन में ताजा है. बॉलीवुड हिंदी को बढ़ावा देने के लिए पोस्टरों पर हिंदी में शीर्षक लगा सकता है. हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए.
शरद मल्होत्रा
एक्टर शरद मल्होत्रा ने कहा कि मुझे सत्यजीत रे की 1977 में आई फिल्म शतरंज के खिलाड़ी बहुत पसंद थी. यह मुंशी प्रेमचंद की इसी नाम की लघु कहानी पर आधारित थी. फिल्म में अमजद खान, संजीव कुमार, सईद जाफरी और शबाना आज़मी थे. यह एक राजनीतिक व्यंग्य है और कला निर्देशन और छायांकन एकदम सही था. जहां तक बॉलीवुड का सवाल है, मुझे लगता है कि हम पुराने हिंदी उपन्यासों से ज्यादा फिल्में बनाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और इससे निश्चित रूप से हिंदी को एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा मिलेगा. जहां तक म्यूजिक इंडस्ट्री की बात है, उन्हें पुराने गानों को रीक्रिएट या रीमिक्स करने के बजाय ज्यादा से ज्यादा हिंदी गाने बनाने चाहिए.
अंगद हसीजा
एक हिंदी उपन्यास पर आधारित मेरी पसंदीदा बॉलीवुड फिल्म सद्गति ( Sadgati) है. सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी ये फिल्म मुंशी प्रेमचंद की कहानी सद्गति ( Sadgati) पर आधारित थी. फिल्म देश में अछूतों के दुखद जीवन पर केंद्रित है. यह एक दिल दहला देने वाली फिल्म है. वहीं उन्होंने कहा कि हिंदी को एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए, मुझे लगता है कि हमें फिल्मों और गानो में हिंदी का अधिक इसतमाल करना चाहिए. इसे अंग्रेजी के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए.
मीरा देओस्थले
1986 में सुखवंत ढड्डा के निर्देशन में बनी फिल्म 'एक चादर मैली सी मेरी पसंदीदा फिल्म है. यह फिल्म राजिंदर सिंह बेदी के इसी नाम के क्लासिक उर्दू उपन्यास का रूपांतरण है. उपन्यासको 1965 साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था. इस फिल्म में हेमा मालिनी, कुलभूषण खरबंदा, ऋषि कपूर और पूनम ढिल्लों ने मुख्य भूमिका निभाई थी. हिंदी का अधिक प्रचार करने के लिए हमें हिंदी में भी टाइटल रखना चाहिए. फिल्मों में हिंदी को हिंग्लिश डायलॉग न बनाया जाए.
एजाज खान
मुझे हिंदी फिल्म अंगूर पसंद आई जिसमें संजीव कुमार ने डबल रोल किया था यह भारतीय फिल्म दो दूनी चार की रीमेक है जो 1963 की बंगाली भाषा की कॉमेडी फिल्म भ्रांति बिलास की रीमेक थी. फिल्म ईश्वर चंद्र विद्यासागर के इसी नाम के बंगाली उपन्यास पर आधारित है. हिंदी हमारी मातृभाषा है और इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए. फिल्मों के टाइटल और सबटाइटल हिंदी में भी हो सकते हैं. दुनिया भर के लोग जान सकें कि हिंदी सिनेमा कितनी अच्छी है.
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