भारत के लोगों को क्या पता था कि आइजोल जैसे छोटे शहर का 19 साल का लड़का वो करिश्मा कर दिखाएगा जिसे करने में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. बर्मिंघम में भारत का मान बढ़ाने वाले जेरेमी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, जिन्होंने महज 19 साल की उम्र में खेल के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
पढ़ाई से नफरत करने वाले जेरेमी क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बहुत बड़े फैन हैं और खेल के लिए उनका जूनून उन्हें बाकियों से अलग करता है. टैटू का शौक रखने वाले मिजोरम के इस एथलीट ने अपने बांह पर ओलंपिक रिंग का टैटू करा रखा है.
लालरिनुंगा की रगों में लहू नहीं खेल दौड़ता है. एक राष्ट्रीय मुक्केबाज के बेटे, जेरेमी ने अपने पिता की तरह मुक्केबाजी में शुरुआत की थी. लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि भारोत्तोलन ही उनकी किस्मत है. आइज़वाल में जन्मे इस स्टार ने पहली बार 2018 में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा जब वह यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने.
4 साल बाद, जेरेमी ने बर्मिंघम 2022 में सफलतापूर्वक स्वर्ण पदक जीतकर देशवासियों का सर गर्व से ऊँचा कर दिया है.
हालांकि, जूनियर से सीनियर तक का सफ़र जेरेमी के लिए आसान नहीं था. वह टोक्यो ओलंपिक से चूक गए, दो बार इंजरी हुई और उन्होंने एक साल तक संघर्ष किया.
इन सब बाधाओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करते रहे और उनकी मेहनत आज पदक में तब्दील हो गई.
बता दें कि बर्मिंघम से पहले, इस युवा एथलीट को पीठ और घुटने की चोट की वजह से प्रशिक्षण से महीनों दूर रहना पड़ा था. लेकिन इस दूरी ने उन्हें अपने लक्ष्य से डिगने नहीं दिया और उन्होंने 19 साल की उम्र में वो मुकाम हासिल कर लिया जो अच्छे-अच्छों के लिए मुश्किल होता है. जेरेमी को देखकर पता चलता है कि अगर आप में जज्बा हो तो चोट हो या छोटी उम्र , चाहे कोई भी बाधा आपको जीतने से नहीं रोक सकती.