चलिए पुजारा की यह बात मान लेते हैं कि फॉर्म इज टेंपरेरी, पर क्लास इज परमानेंट. लेकिन कड़वा सच तो यह है कि साउथ अफ्रीका के खिलाफ हुई इस तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में ना तो क्लास दिखाई दी और फॉर्म की बात ना ही करें तो बेहतर होगा. पुजारा ने तो फिर भी कुछ पारियों में संघर्ष दिखाया, लेकिन रहाणे जिस तरह के शॉट्स खेलकर 6 पारियों में पवेलियन लौटे हैं उसको देखते हुए कहना ही होगा कि टेस्ट करियर पर इस अनुभवी बल्लेबाज के संकट खड़ा हो चुका है.
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तीन मैचों की 6 पारियों में साउथ अफ्रीका की धरती पर पुजारा ने 20.67 के औसत से मात्र 124 रन बनाए. पूरी सीरीज में टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले इस बल्लेबाज ने महज एक बार ही पचास का आंकड़ा पार किया. अब खराब फॉर्म में पुजारा से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे रहाणे के भी आंकड़े जान लीजिए. छह पारियों में पूर्व उपकप्तान ने 22.67 की मामूली औसत से रन जड़े 136. हर पारी में रहाणे के शॉट्स को देखकर मानो ऐसा लगा कि मैदान पर रहने से ज्यादा उनको ड्रेसिंग रूम में समय बिताने की जल्दी है.
जनवरी 2020 से रहाणे ने खेले 19 मैचों की 35 पारियों में महज 24 के औसत से 819 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से एक शतक और चार अर्धशतक निकले हैं. वहीं, पुजारा ने जनवरी 2020 से खेले 20 मैचों की 38 पारियों में 26.29 के औसत से 973 रन जड़े हैं. इस दौरान दाएं हाथ के इस बल्लेबाज के बल्ले से 8 अर्धशतक निकले हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि फॉर्म तो रहाणे-पुजारा दोनों की खराब है, पर पूर्व उपकप्तान की कहानी पुजारा से ज्यादा गड़बड़ दिख रही है. यानी टीम इंडिया से अगर इन दोनों दिग्गज बल्लेबाजों में से किसी का पत्ता कटेगा तो पर्ची पर पहला नाम शायद रहाणे का ही होगा.
भले ही हेड कोच द्रविड़ और कप्तान कोहली इन दोनों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीठ थपथपाते हो, लेकिन सच तो यह है कि टीम मैनेजमेंट भी इन दोनों दिग्गजों को मौके पर मौके देकर शायद थक चुका है. बेंच पर बैठे अय्यर और हनुमा विहारी लगातार दरवाजा खटखटा रहे हैं और सिर्फ अनुभवी होने के चलते रहाणे-पुजारा की जगह कम से कम अब बचती दिखाई नहीं दे रही है.