अनुभवी बल्लेबाज हैं, भारतीय टीम को कई अहम मैचों में जीत दिला चुके हैं. भरोसा रखिए बस एक बड़ी पारी से दूर हैं फिर यह रनों का सूखा खत्म हो जाएगा. यह वो लाइनें हैं, जो या तो कप्तान या फिर हेड कोच पुजारा और रहाणे के फ्लॉप होने के बाद अक्सर दोहराते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन, सवाल तो यही है कि इन दोनों के बल्ले से वो पारी कब निकलेगी और कब खत्म होगा मौके पर मौके देने का यह सिलसिला.
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सेंचुरियन में फेल होने के बाद पुजारा-रहाणे का फ्लॉप शो जोहानिसबर्ग में भी जारी रहा. पुजारा तीन तो रहाणे बिना खाता खोले पहली ही गेंद पर पवेलियन लौट गए. इन दोनों बल्लेबाजों की खराब फॉर्म टीम मैनेजमेंट के लिए दिन प्रतिदिन सिरर्दद बनती जा रही है. पुजारा ने अपना आखिरी शतक 2019 में जड़ा था और इसके बाद से 44 पारियां बीत चुकी हैं. वहीं, पूर्व टेस्ट उपकप्तान रहाणे का भी हाल बेहाल है और सेंचुरी जड़े 24 पारियां निकल चुकी हैं.
पुजारा ने बीते साल 14 टेस्ट मैचों की 26 पारियों में महज 28.08 के औसत से 702 रन बनाए. तो रहाणे का बल्ले तो साल 2021 में और भी खामोश रहा और उन्होंने 13 टेस्ट मैचों की 23 पारियों में 20.82 के मामूली औसत से 479 रन बनाए. आंकड़े चीख-चीखकर इन दोनों बल्लेबाजों की खराब फॉर्म की कहानी बयां कर रहे हैं.
22 गज की इस पिच पर हर खिलाड़ी का एक समय पर खराब दौर आता है और बड़ा खिलाड़ी वही है जो इस मुश्किल समय में हार ना माने और आलोचकों को बल्ले से जवाब दे. अब यही काम पुजारा-रहाणे को द वांडरर्स के मैदान पर दूसरी पारी में करना होगा, क्योंकि तीसरे टेस्ट में अब टीम में जगह मिलेगी या नहीं इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता.