साल बदला, तारीख बदली और मैदान भी बदला, लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वह चेतेश्वर पुजारा का फ्लॉप शो. टेस्ट क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाज कहे जाने वाले जनाब को मौके पर मौके मिल रहे हैं पर ऐसा लगता है कि मानो पुजारा के बल्ले में जंग लग चुका है. घरेलू क्रिकेट और काउंटी में तो पुजारा भर-भरकर रन बनाते हैं, लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचते ही ना जाने वो फॉर्म कहां खो जाती है.
इंग्लैंड के खिलाफ रिशेड्यूल टेस्ट मैच में पुजारा से टीम इंडिया को बड़ी आस थी, क्योंकि टीम रोहित और राहुल के बिना मैदान पर उतरी थी. यही वजह थी कि पुजारा के अनुभव को देखते हुए उनको पारी का आगाज करने की जिम्मेदारी सौंपी गई, ताकि वह एंकर की भूमिका निभाए और साथी बल्लेबाजों को साथ लेकर चल सकें. मगर ऐसा लगता है कि पुजारा से रनों की उम्मीद करना गुजरे जमाने की बात हो चली है.
दाएं हाथ का यह बल्लेबाज 46 गेंदों का सामना करने के बाद महज 13 रन बनाकर बड़े मुकाबले में टीम को अधर में छोड़कर पवेलियन लौट गया. अब पुजारा का फ्लॉप शो किस तरह से जारी है आइए वो आपको आंकड़ों के जरिए भी समझा देते हैं.
पुजारा के लिए पांच मैचों की इस सीरीज में जेम्स एंडरसन काल बने हैं और दिग्गज बैट्समैन इंग्लिश बॉलर से पार नहीं पा सका है. पुजारा ने पांच मैचों की सीरीज की पहली 5 पारियों में कुल रन बनाए 31 और हर बार उनको पवेलियन की राह दिखाई एंडरसन की लहराती हुई गेंदों ने. पुजारा एंडरसन के चहिते बललेबाज भी बन गए हैं और इंग्लिश तेज गेंदबाज ने सबसे ज्यादा 12 बार भारतीय बल्लेबाज को पवेलियन भेजा है.
पुजारा ने भारत को कई मैचों में यादगार जीत दिलाई है इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन हर खिलाड़ी का दौर होता है और इतिहास गवाह है कि प्रतिष्ठा के आधार पर जीत की कहानी नहीं लिखी जाती है. अब सवाल यही है कि प्रतिष्ठा के बूते पुजारा को कितने मौके और दिए जाएंगे, क्योंकि बेंच पर बैठे कई खिलाड़ी टकटकी लगाए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.