किसी ने कहा कि वो दौर अब चला गया, कोई बोला कि संन्यास लेने का समय आ गया है. कोई कहता नजर आया कि 'द वॉल' वाला तमगा अब जच नहीं रहा.इन तमाम आलोचकों के मुंह पर चेतेश्वर पुजारा ने शतक जमाकर ताला लगा डाला है. शतक भी ऐसा वैसा नहीं, बल्कि उनके टेस्ट करियर की यह सबसे तेज सेंचुरी रही.पुजारा के बल्ले से निकला यह शतक इस लिए भी खास रहा, क्योंकि इसके लिए उन्होंने 47 महीने का लंबा इंतजार किया. देर से ही सही पर पुजारा दुरुस्त लौटे हैं.
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1443 दिन बाद निकली इस सेंचुरी को जड़ने के लिए पुजरा ने सिर्फ 130 गेंदें खेली और 78 के स्ट्राइक रेट से खेलते हुए अपनी इस पारी में 13 चौके ठोक डाले.यानी पुजारा ने अर्धशतक तो सिर्फ बाउंड्री से ही बनाया और पूरे विश्व क्रिकेट को दिखा डाला कि क्यों उनको टीम इंडिया की दीवार कहा जाता है. पुजारा के बैट से निकला यह शतक 52 पारियों के बाद आया है. पहली पारी में भी पुजारा ने 90 रनों की शानदार पारी खेली थी और शतक आते-आते रह गया था.
पुजारा ने इस सेंचुरी के जरिए पूरे विश्व क्रिकेट को मैसेज भी दे दिया है कि भारत के इस टेस्ट स्पेशलिस्ट बल्लेबाज में अभी लाल गेंद की क्रिकेट में छा जाने के लिए बहुत आग बाकी है. पुजारा ने यह भी दिखाया है कि जब परिस्थिति उनके अनुकूल नहीं होती है, तो वह 22 गज की पिच की तरह ही जिंदगी में भी धैर्य रखना बखूबी जानते हैं.