सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के संविधान में संशोधन की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई की. बता दें कि BCCI पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ’ पीरीयड यानी तीन साल तक कोई पद नहीं संभालने की शर्त को समाप्त करना चाहता है.
कोर्ट ने कहा कि पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच कूलिंग ऑफ पीरीयड को समाप्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि इसका उद्देश्य बोर्ड के फैसलों को निजी स्वार्थ से दूर रखना है.
फिलहाल एक पदाधिकारी को राज्य संघ या BCCI या दोनों को मिलाकर, लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ पीरीयड से गुजरना पड़ता है.
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भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने BCCI के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि राज्य क्रिकेट संघ और BCCI, दोनों निकाय अलग हैं और उनके नियम भी अलग हैं और जमीनी स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए एक पदाधिकारी के लगातार दो कार्यकाल बहुत कम हैं.
गौरतलब है कि प्रस्तावित संशोधन से वर्तमान अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को पद पर छह साल पूरे करने के बावजूद पद पर बने रहने का फायदा मिलेगा.