महान क्रिकेटर लाला अमरनाथ (Lala Amarnath) को नानिक अमरनाथ के नाम से भी जानते हैं. लाला अमरनाथ ने इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) में भारत की ओर से पहला शतक जड़ा था. वे भारत के पहले ऑलराउंडर थे जिन्होंने बल्ले के अलावा एक गेंदबाज के रूप में भी धमाल मचाया. उन्हें भारत सरकार ने साल 1991 में खेल के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्म भूषण (Padma Bhushan) से सम्मानित किया.
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लाला अमरनाथ मूलतः दिल्ली के ही रहने वाले थे. लाला अमरनाथ का जन्म 11 सितंबर 1911 के दिन एक कायस्थ परिवार में हुआ था. लाला अमरनाथ का निधन 5 अगस्त 2000 को 88 बरस की उम्र में दिल्ली में हुआ. तब भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने अपने शोक संदेश में उन्हें भारतीय क्रिकेट का आइकन करार दिया था. आइए आज इस लेख में जानते हैं लाला अमरनाथ की जिंदगी के अनसुने किस्सों को...
बात तब की है जब भारत को आजाद हुए महज एक साल हुए थे और तारीख थी- 29 नवंबर 1948. भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी. पहले टेस्ट की पहली पारी में क्रिकेट के ऑल टाइम ग्रेट बैट्समैन डॉन ब्रेडमैन (Sir Don Bradman) क्रीज पर मौजूद थे और दोहरे शतक की ओर बढ़ रहे थे. उन्होंने तकरीबन हर भारतीय गेंदबाज की खूब खबर ली थी. तभी गेंद संभाली भारतीय क्रिकेट के एक लीजेंड ने.
मध्यम गति से तेज गेंदबाजी करने वाले इस दिग्गज की गेंद बेहतरीन स्विंग हो रही थी. ब्रैडमैन तब 185 के निजी स्कोर पर खेल रहे थे, उसी वक्त उस गेंदबाज की एक शार्टपिच गेंद को ब्रैडमैन ने पीछे हटकर कट करना चाहा लेकिन गेंद के अचानक उछल जाने से वे चूके और लड़खड़ाकर स्टंप से टकरा गए. स्टंप की गिल्लियां नीचे गिर गईं और ब्रैडमैन अपने करियर में पहली और इकलौती बार हिट विकेट हो गए. जिस गेंदबाज ने ये असंभव सा कारनामा किया था वो थे लाला अमरनाथ (Lala Amarnath).
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आज की तारीख का संबंध है उसी दिग्गज लाला अमरनाथ (Lala Amarnath) से है जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए जो शायद ही कभी टूट पाएं. आज ही के दिन यानि 5 अगस्त 2000 को उन्होंने नई दिल्ली में अपनी आखिरी सांसें ली थी. अपने दौर में क्रिकेट की बदौलत वे इतने लोकप्रिय हो गए थे कि लोग मजाक में कहते थे कि यदि वे पाकिस्तान (Pakistan) में भी चुनाव लड़ें तो जीत जाएंगे.
वैसे तो लाला अमरनाथ जिस वक्त क्रिकेट खेल रहे थे उस वक्त भी भारत में कई दिग्गज क्रिकेटर मौजूद थे...मसलन सीके नायडू (CK Nayudu), महाराज कुमार (Maharajkumar) और इफ्तिकार अली खान पटौदी (Iftikhar Ali Khan Pataudi) लेकिन जब भारत को आजादी मिली तो टीम इंडिया के पहले कप्तान बने लाला अमरनाथ. लाला अमरनाथ ही वो पहले कप्तान थे जिनकी सरपरस्ती में भारत ने पहली बार पाकिस्तान को पटखनी दी.
दरअसल, देश बंटने के बाद धीरे-धीरे भारत-पाकिस्तान के बीच स्थितियां सामान्य होने लगी थी. साल 1952 में उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को टेस्ट सीरीज में हराया. भारत के दौरे पर आई पाकिस्तान टीम की यह पहली टेस्ट सीरीज थी. पांच मैचों की ये सीरीज भारत ने 2-1 से जीती थी. इस सीरीज में भारत ने पहला और तीसरा टेस्ट जीता था, जबकि पाकिस्तान ने दूसरा मैच जीता और आखिरी के दो टेस्ट मैच ड्रॉ पर खत्म हुए थे. अहम ये भी है कि इस सीरीज से पहले भारतीय टीम ने आठ घरेलू सीरीज खेली थी, जिसमें से सात में उसे हार का सामना करना पड़ा था.
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पाकिस्तान को चारों खाने चित करने वाले लाला अमरनाथ की हर सांस में क्रिकेट ही बसता था. पंजाब के कपूरथला में 11 सितंबर 1911 को जन्मे लाला अमरनाथ की परवरिश लाहौर में हुई. उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद था. कड़ी मेहनत और धुन के धनी अमरनाथ ने क्रिकेट के अलावा कभी कुछ देखा ही नहीं और धीरे-धीरे टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का वो ऐसा नाम बन गए जिसे दुनिया बरसों तक अपने साथ रख सकती है. अपने छोटे से करियर में अनेक रिकॉर्ड्स के मालिक रह चुके अमरनाथ ने 15 दिसंबर 1933 को अपने करियर के पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगा दिया था.
इंग्लैंड के खिलाफ इस टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 118 रनों की शानदार पारी खेली थी. अमरनाथ की ये पहली शतकीय पारी कई मायनों में अनोखी थी. उन्होंने 185 मिनटों में 21 चौकों की मदद से 118 रन बनाए थे. सिर्फ 78 मिनट में 83 के स्कोर पर पहुंच गए थे, तेज गेंदबाज से लेकर स्पिनर्स सभी को कूट दिया था, 117 मिनट में शतक पूरा किया था. बता दें कि तब स्ट्राइक रेट मिनटों के हिसाब से कैलकुलेट होता था. उस समय तक भारत की ओर से किसी भी क्रिकेटर ने टेस्ट मैच में शतक नहीं लगाया था. इस मैच को इंग्लैंड ने जरूर जीता था, लेकिन शोर बस एक ही नाम का था लाला अमरनाथ.
लाला अमरनाथ के नाम एक ऐसा भी रिकॉर्ड रहा है जो उन्हें एक बेहतरीन खिलाड़ी के श्रेणी में रखता है. लाला, टेस्ट क्रिकेट में सबसे लंबे समय तक टीम से बाहर रहकर वापसी करने वाले भारतीय खिलाड़ी हैं. अमरनाथ ने 1933-1934 के बीच महज दो टेस्ट मैच खेले थे और पहले टेस्ट मैच में शतक जड़ने के बाद भी उन्हें टीम से बाहर रखा गया. एक दो साल नहीं, पूरे 12 साल बाद 1946 में उन्होंने टीम में वापसी की. इस वापसी के बाद लाला कई सालों तक टीम का मजबूत स्तंभ बन कर टिके रहे. उनके रिकॉर्ड्स आपको अचंभित कर सकते हैं.
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मसलन- एक ही टेस्ट मैच में एक पारी में पचास रन और पांच विकेट लेने वाले वे पहले भारतीय ऑलराउंडर थे. दस या उससे अधिक मैचों में देश का नेतृत्व करने वाले वे पहले भारतीय टेस्ट कप्तान थे. इसके अलावा रणजी ट्रॉफी में पांच राज्यों के लिए खेलने वाले पहले क्रिकेटर हैं. अमरनाथ ने 24 टेस्ट मैचों में एक शतक और चार अर्धशतक के साथ 24.38 की औसत से 878 रन बनाए. वहीं, 32.91 की औसत से 45 विकेट भी चटकाए, उन्होंने 186 फर्स्ट क्लास मैचों में 10,000 से अधिक रन बनाने के अलावा 22.98 की बेहतरीन औसत के साथ 463 विकेट भी अपने नाम किए. यही नहीं उनके दो बेटों ने भी टीम इंडिया की तरफ से कई मैच खेले. उनमें से एक मोहिंदर अमरनाथ ने तो भारत को 1983 वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका भी निभाई.
उनके बेटे और टेस्ट क्रिकेटर रहे सुरिंदर अमरनाथ पाकिस्तान और अपने पिता के रिश्ते को लेकर कई किस्से बताते हैं. सुरिंदर के मुताबिक लाला के पाकिस्तान के साथ रिश्ते कमाल के थे. ये बात 1978 की है. रावलपिंडी में टीम इंडिया का एक ऑफिशियल डिनर था जो वहां के गवर्नर ने दिया था. जिसमें भारत और पाकिस्तान, दोनों टीमों के खिलाड़ी थे. ऑफिशियल उनसे बात कर रहे थे. गवर्नर भी थे. अचानक अनाउंसमेंट हुआ और बताया गया कि लाला अमरनाथ आ गए हैं. सुरिंदर ने उसके बाद देखा, तो कोई पाकिस्तानी अधिकारी उनकी टीम के आसपास नहीं था.
सब लाला अमरनाथ को घेरे थे. खुद गवर्नर भी उनके साथ खड़े हुए थे. सुरिंदर एक और किस्सा बताते हैं- भारतीय टीम पाकिस्तान गई थी. तब टीम के मैनेजर थे- फतेहसिंह राव गायकवाड़ (Fateh Singh Rao Gaekwad ). एयरपोर्ट पर एक टीम बस थी और एक मर्सिडीज आई थी. मैनेजर साहब टीम के पास आए और कहा कि चलो बॉयज, हम लोग होटल में मिलते हैं. तुम लोग बस से जाओ. मैं गाड़ी से आता हूं. तब उन्हें पीछे खड़े सेक्रेटरी ने धीरे से समझाया कि ये गाड़ी आपके लिए नहीं है. वो हैरान कि ये किसके लिए है? सेक्रेटरी ने कहा कि ये लालाजी के लिए है. सरकारी गाड़ी है. उन्हें यहां स्टेट गेस्ट का दर्जा मिला है. आप खुद समझ सकते हैं कि अगर 70 के दशक में ये हाल था, तो उनके प्लेइंग डेज में क्या होता होगा.
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चलते-चलते आज के दिन घटी दूसरी अहम घटनाओं पर भी निगाह डाल लेते हैं
1914: अमेरिका में पहली इलेक्ट्रिक ट्रैफिक (First Traffic Light) लाइट लगाई गई
1962: हॉलीवुड अभिनेत्री मर्लिन मुनरो (Hollywood Actress Marilyn Monroe) लॉस एंजेलिस स्थित आवास में मृत पाई गईं
2019: मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने का ऐलान किया
2020: अयोध्या में राममंदिर (Shri Ram Mandir Ayodhya) का भूमि पूजन समारोह संपन्न हुआ