पाकिस्तान और श्रीलंका के क्रिकेट बोर्ड इस बात को लेकर वित्तीय विवाद में फंसे हुए हैं कि पिछले साल एशिया कप को श्रीलंका में स्थानांतरित करने के कारण आए तीन-चार मिलियन डॉलर लगभग 25 से 33 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च को कौन वहन करेगा.
बीसीसीआई ने पाकिस्तान में सुरक्षा और दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के मद्देनजर टीम को पाकिस्तान भेजना से मना कर दिया था. इसके बाद मेजबान पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) की जिद्द पर एशिया कप का आयोजन हाइब्रिड मॉडल पर हुआ था.
टूर्नामेंट के ज्यादातर मैचों का आयोजन श्रीलंका में हुआ जबकि इसके कुछ मुकाबले पाकिस्तान में खेले गये. इसके परिणामस्वरूप चार्टर्ड विमान, होटल बुकिंग, स्थल किराये की फीस और यात्रा सहित अन्य पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ा.
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने बैठक के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि वो वित्तीय बोझ उठाने को तैयार नहीं है क्योंकि उसे इस आयोजन से अतिरिक्त कमाई नहीं हुई है और वो टूर्नामेंट का आधिकारिक मेजबान भी नहीं था.
इस आयोजन का खर्च इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि पीसीबी के पूर्व अध्यक्ष जका अशरफ ने पहले मैच को लाहौर की जगह मुल्तान में कराया था.
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पीसीबी अतिरिक्त खर्चों के भुगतान के लिए श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड पर दबाव बना रहा है क्योंकि उसने पाकिस्तान के मेजबानी अधिकार वापस लेने और आयोजन को दूसरे देश में करने का निर्णय लिया था.
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि बाली में बैठक के दौरान, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख जय शाह ने स्पष्ट किया कि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने पूरे टूर्नामेंट को श्रीलंका में स्थानांतरित करने का फैसला किया था लेकिन पीसीबी ने चार मैचों की मेजबानी करना चाहता था इसके चलते ये खर्चा हुआ.