टीम इंडिया का टी-20 इंटरनेशनल का सबसे विस्फोटक बल्लेबाज, मैच विनर और कुछ ओवरों में ही खेल पलटने वाला बल्लेबाज. कुछ इन्हीं नामों से ऋषभ पंत को पुकारा जाता है. लेकिन, क्या यह सब बड़े-बड़े नाम पंत की मौजूदा फॉर्म को देखते हुए फिट बैठ रहे हैं तो इसका जवाब शायद नहीं है.
साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेली गई पांच मैचों की सीरीज में पंत के बल्ले से रन निकले कुल 58 और आतिशी बल्लेबाज का तमगा लेकर घूम रहे विकेटकीपर बैट्समैन का स्ट्राइक रेट रहा महज 105 का.
अब बात सिर्फ इस सीरीज तक सीमित होती तो कोई बात नहीं थी, क्योंकि बड़े से बड़ा खिलाड़ी एक या दो सीरीज में फ्लॉप तो होता ही है. हालांकि, यहां तो कहानी एक दो सीरीज की नहीं, बल्कि फॉर्म का टी-20 इंटरनेशनल में तलाशते हुए पंत ने दो साल से ऊपर का समय बीता दिया है.
पंत के बल्ले से आखिरी अर्धशतक वेस्टइंडीज सीरीज के दौरान साल 2022 में निकला था. अब यह भी जान लीजिए कि इस फिफ्टी को आने में लगभग तीन साल लगे थे. सही सुना है आपने, क्योंकि पंत ने यह अर्धशतक साल 2019 के बाद अब जाकर लगाया था.
अब असली कहानी तो यह है कि अगस्त 2019 से लेकर पंत सिर्फ 5 बार 30 के स्कोर को टी-20 इंटरनेशनल में पार कर सके हैं. इन आंकड़ों को देखकर आप खुद ही तय कीजिए कि क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में पंत कितने कारगर बल्लेबाज हैं.
अगर आप पंत के टी-20 इंटरनेशनल करियर पर भी नजर दौड़ाएंगे तो विकेटकीपर बल्लेबाज ने खेली 42 पारियों में कुल 741 रन बनाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से महज तीन फिफ्टी ही निकली है, जबकि टी-20 करियर का स्ट्राइक रेट रहा है महज 123 का. कोच राहुल द्रविड़ ने तो पंत का बचाव करते हुए कहा है कि दो या तीन मैचों के ऊपर जज नहीं करना चाहिए.
हालांकि, सच्चाई यह है कि अब पंत को अपने बल्ले से जवाब देना होगा. भारतीय टीम को वर्ल्ड कप से पहले काफी टी-20 मुकाबले खेलने हैं और अगर पंत का हाल इस कदर ही बेहाल रहा, तो ऑस्ट्रेलिया में जाने वाली टीम में बतौर विकेटकीपर पंत का नाम शामिल ना हो तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी.