सेंचुरियन टेस्ट के तीसरे दिन एक समय 278 रनों पर तीन विकेट गंवाकर टीम इंडिया बेहद मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही थी. लेकिन, अगले कुछ ओवरों में टीम का बैटिंग ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया और पूरी टीम महज 327 रन बनाकर ऑलआउट हो गई. यानी भारत ने अपने आखिर 7 विकेट महज 49 रन बनाकर गंवा दिए. अच्छी स्थिति में होने के बाद अगले दिन के पहले सेशन में लगातार अंतराल पर विकेट गंवाते चले जाना यह टीम इंडिया की पुरानी आदत रही है.
इस साल भले ही कोहली की सेना ने 13 टेस्ट मैचों में से 7 में जीत दर्ज की है, लेकिन पहले सेशन में बैटिंग ऑर्डर का फ्लॉप होना कोई नई बात नहीं रही है. दिसंबर 2020 के बाद से अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो भारतीय टीम ने सिर्फ न्यूजीलैंड के खिलाफ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ही अगले दिन 100 से ज्यादा का स्कोर जोड़ सकी है.
एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया दौरे से लेकर अबतक के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने बिना किसी संघर्ष के सामने वाली टीम के गेंदबाजों के आगे हथियार डाले हैं. यही हाल मेलबर्न में रहा तो घरेलू मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ भी टीम के बैट्समैन अपने इस खराब रिकॉर्ड को नहीं बदल सके. हाल इस कदर बेहाल रहा है कि भारतीय बल्लेबाजों ने हर विकेट 10 से कम रन बनाकर गंवाया है.
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भारत ने इस बार फाइनल तक का सफर तय किया था और अगर कोहली एंड कंपनी को इसी प्रदर्शन को एकबार फिर दोहराना है तो इस कमजोरी को जल्द से जल्द दूर करना होगा. नहीं तो टेस्ट चैंपियन कहलाने का सपना महज सपना ही बनकर रह जाएगा.