टी-20 वर्ल्ड कप 2021 में टीम इंडिया की दुर्गति हुई, तो नए कप्तान और नए कोच का टीम में आगमन हुआ. कोहली-रवि शास्त्री की जोड़ी का दौर खत्म हुआ और रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ की जुगलबंदी की शुरुआत हुई.रोहित-द्रविड़ आए तो नई उम्मीदें भी जगीं और यहीं से शुरू हो गया एक्सपेरिमेंट का वो दौर, जो साल खत्म होते-होते टीम इंडिया की नैया को ले डूबा.
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बाइलेटरल सीरीज में तो रोहित की कप्तानी और द्रविड़ की समझ खूब नजर आई, पर एशिया कप, वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में कप्तान-कोच ने सर पकड़ लिया.अब इसे खराब किस्मत कहिए या फिर कुछ और, लेकिन प्रयोग के इस दौरे के साथ मुख्य खिलाड़ियों की इंजरी ने भी हर अहम समय पर भारतीय टीम का काम बिगाड़ा.आइए अब आपको विस्तार में समझाते हैं कैसे साल 2022 में रोहित-द्रविड़ की चतुर रणनीति का हुआ टीम इंडिया पर ही पलटवार और कैसे अपने ही खेल में उलझकर रह गए भारतीय कप्तान और हेड कोच..
ओपनिंग में ईशान किशन, केएल राहुल से लेकर पंत और दीपक हुड्डा तक को आजमाया गया.पूरे साल बतौर सलामी बल्लेबाज खेलने वाले ईशान टी-20 वर्ल्ड कप की टीम में ही जगह नहीं बना सके, तो हुड्डा सिर्फ मैदान पर आकर पानी ही पिलाते रह गए.
मिडिल ऑर्डर की कहानी भी ऐसी ही रही, जहां संजू सैमसन, दीपक हुड्डा, श्रेयस अय्यर, पंत और दिनेश कार्तिक को आजमाया गया, लेकिन पूरे साल खेलने के बावजूद आईसीसी टूर्नामेंट में कप्तान-कोच सहाब एक दमदार मध्यक्रम तैयार नहीं कर सके.आखिरी मौके पर अय्यर टी-20 टीम में फिट नहीं बैठे, तो मैच विनर पंत बेंच पर ही बैठे रह गए.कौन किस पोजीशन पर खेलेगा यह बात भी रोहित-द्रविड़ पूरे साल तय नहीं कर सके.
सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं, बल्कि गेंदबाजी में भी जनाब हाल बेहाल रहा. बतौर तेज गेंदबाज आवेश खान, हर्षल पटेल, भुवनेश्वर कुमार, उमरान मलिक, मोहम्मद सिराज,अर्शदीप, दीपक चाहर तक का इस्तेमाल टी-20 फॉर्मेट में हुआ, लेकिन वर्ल्ड कप में जब बुमराह की रिप्लेसमेंट की बारी आई तो पूरे साल एक भी टी-20 इंटरनेशनल ना खेलने वाले मोहम्मद शमी को उतार दिया गया.
स्पिन विभाग में रवि बिश्नोई, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल को कप्तान ने पूरे साल खिलाया और चहल को खुद कप्तान रोहित ने अपना बेस्ट स्पिनर बताया. हकीकत यह रही कि कप्तान-कोच खुद स्पिनर्स की गुत्थी में उलझ गए और चहल टी-20 वर्ल्ड कप में बाहर बैठे रह गए तो अश्विन की आईसीसी इवेंट से ठीक दो महीने पहले टी-20 टीम में एंट्री हो गई.यानी पूरे साल एक्सपेरिमेंट तो गजब के हुए, पर रिजल्ट रहा निल बट्टे सन्नाटा.
साल 2022 में चोटों ने भी टीम इंडिया के अरमानों पर जमकर पानी फेरा.कप्तानी का भार आते ही रोहित की फिटनेस सबसे बड़ी समस्या बन गई. रोहित साल की पहली और आखिरी सीरीज में तो खेले ही नहीं, बल्कि हर दूसरी सीरीज के बाद भारतीय कप्तान को आराम की दरकार पूरे साल रही.
टीम इंडिया की दिल और धड़कन कहे जाने वाले बुमराह और रविंद्र जडेजा ऐसे समय पर चोटिल हुए कि एशिया कप और टी-20 वर्ल्ड कप में टीम की दुर्दशा घर में बैठकर देखने को मजबूर हो गए.हर्षल पटेल भी चोट की वजह से एशिया कप नहीं खेल सके, तो हरफनमौला दीपक चाहर का पूरे साल चोटों से नाता रहा.चोटों ने इस कदर टीम इंडिया के सपनों की कमर तोड़ी कि साल खत्म-खत्म होते-होते कप्तान रोहित को बोलना पड़ा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है और आधे फिट प्लेयर देश के लिए नहीं खेल सकते हैं.