लखनऊ और गुजरात के बीच खेले गए मुकाबले में वाहवाही तो राहुल तेवतिया ने अपनी विस्फोटक इनिंग से बटोरी, लेकिन इस रोमांचक मैच में एक खिलाड़ी ऐसा भी रहा जिसने अपने खेल से हर किसी को अपना मुरीद बना दिया. जी हां, सही नाम आपके दिमाग में आया है, हम बात कर रहे हैं आयुष बदोनी की.
उस गुमनाम खिलाड़ी की, जो सोमवार की रात वानखेड़े मैदान पर ऐसा चमका कि गुजरात की जीत से ज्यादा सुर्खियां इस युवा बल्लेबाज ने बटोरी. 22 साल का यह बल्लेबाज जब बल्लेबाजी करने मैदान में उतरे तब मोहम्मद शमी ने लखनऊ के कप्तान सहित कई बड़े नामों को पवेलियन भेज दिया था.
उस वक्त लखनऊ ने 4 बड़े विकेट खोकर सिर्फ 29 रन स्कोर बोर्ड पर लगाए थे. दिल्ली का यह खिलाड़ी उस वक्त नर्वस तो जरूर था, लेकिन जल्द ही उनकी घबराहट आत्मविश्वास में तब्दील हो गई. उन्होंने राशिद खान और लॉकी फर्ग्यूसन जैसे बड़े गेंदबाजों की जमकर धुनाई की. छक्कों-चौकों वाली उनकी पारी ने न केवल लखनऊ को बोर्ड पर एक अच्छा स्कोर बनाने में मदद की, बल्कि टीम में एक नई उम्मीद भी जगाई.
बदोनी की कहानी दिल्ली क्रिकेट के साथ संघर्ष का एक नयाब उदाहरण है. अंडर-19 में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद, बदोनी को दिल्ली क्रिकेट की कमियों की वजह से सही पहचान नहीं मिल पाई, लेकिन आखिरकार गौतम गंभीर के रूप में आयुष को एक सही मेंटर मिल गया.
बदोनी ने अपनी सफलता का सारा श्रेय गंभीर को दिया. उन्होंने कहा, "गौतम भैया ने मेरा बहुत सपोर्ट किया. उन्होंने मुझे सिर्फ अपना स्वाभाविक खेल खेलने के लिए कहा. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि आपको स्थिति के अनुसार खेलने की जरूरत नहीं है. ऐसा करने के लिए सीनियर प्लेयर्स हैं. आप हमें अपना स्वाभाविक खेल दिखाएं' गंभीर ने आयुष को कहा कि वो उन्हें अपना खेल निखारने के लिए पूरा वक्त देंगे.
आयुष की कहानी हमें बताती है कि अगर आप में संयम और काबिलियत है तो आपको देर से ही सही वो पहचान जरूर मिलेगी जिसके वो हकदार हैं. भले ही पहले मैच में लखनऊ गुजरात से जीत नहीं पाई हो लेकिन इस मुकाबले में आयुष ने अपना काबिलियत का नमूना पेश कर दिया है और क्रिकेट जगत में अपनी चमक बिखरने की तरफ पहला और बड़ा कदम बढ़ा दिया है.
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