घंटों की तैयारी, एक दृढ़ निश्चयी लड़की और अनगिनत कर्ज - कुछ ऐसी चीजें हैं जो एक सनसनीखेज वर्ल्ड चैंपियन को जन्म देती हैं और महाराष्ट्र के सतारा से 15 किलोमीटर दूर एक गाँव की रहने वाली 17 वर्षीय अदिति स्वामी के लिए यह बहुत अलग नहीं रहा है.
यह अदिति के पिता का खेल के प्रति उत्साह ही था जिसने उन्हें तीरंदाजी की ओर प्रेरित किया.
परिवार के सतारा में शिफ्ट होने के कुछ दिनों बाद, गोपीचंद स्वामी युवा अदिति को शहर के शाहू स्टेडियम में ले गए जहां बच्चे कई खेल खेल रहे थे.
वहां कुछ बच्चे थे जो अपने धनुष और तीर बना कर निशाना लगा रहे थे, जिसने भविष्य के सितारे का ध्यान खींचा.
तीरंदाजी कोचिंग कार्यक्रम में नाम लिखवाने के बाद, अदिति ने प्रवीण सावंत के साथ उनके एक एकड़ के गन्ने के खेत में बनी तीरंदाजी अकादमी में अपनी ट्रेनिंग शुरु की.
सावंत ने अदिति को 10 साल की एक औसत और कमजोर बच्ची बताया, लेकिन यह उसकी जिद थी जिसने उनका ध्यान खींचा और यहीं से उनकी यात्रा शुरू हुई.
लेकिन अदिति के सपने को पूरा करने की लागत तेजी से बढ़ती रही.
गोपीचंद स्वामी को कोई आपत्ति नहीं थी. उन्होंने उसके लिए धनुष और तीर खरीदने के लिए ऋण लिया और विभिन्न टूर्नामेंटों में उसकी यात्राओं के लिए धन उधार लिया.
अदिति पर उनके विश्वास का फल उन्हें तब मिला जब उन्हें जुलाई 2023 में जूनियर विश्व चैंपियन का ताज पहनाया गया.
एक महीने से भी कम समय के बाद, उन्होंने सीनियर स्तर पर ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया.
अपनी शानदार जीत के बाद अदिति ने गर्व और खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि वह वैश्विक मंच पर भारत का 52 सेकंड लंबा राष्ट्रगान सुनना चाहती थी.
आगामी एशियन गेम्स के साथ-साथ, पूरा राष्ट्र अदिति पर इस डिसिप्लिन में पहले ओलंपिक पदक के लिए आशा भरी नजरों से देख रहा है.
17 साल की Aditi Swami ने रचा इतिहास! विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में भारत के लिए जीता व्यक्तिगत स्वर्ण