भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के विलंबित चुनाव को सोमवार को फिर से आगे बढ़ा दिया गया क्योंकि गुवाहाटी हाई कोर्ट ने असम कुश्ती संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की. डब्ल्यूएफआई के चुनाव 11 जुलाई को होने थे लेकिन चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मांगने वाली असम कुश्ती संघ (एडब्ल्यूए) की याचिका के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी.
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राज्य संघ ने दावा किया था कि वह मतदान के अधिकार के साथ डब्ल्यूएफआई का सदस्य बनने का हकदार है, लेकिन 15 नवंबर 2014 को कार्यकारी समिति की सिफारिश के बावजूद राष्ट्रीय महासंघ ने उसे मान्यता देने से इनकार कर दिया था.
एडब्ल्यूए के वकील देवजीत सैकिया ने बताया कि मामले को 28 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सैकिया ने कहा, ‘डब्ल्यूएफआई (तदर्थ समिति) के वकील आज अदालत में पेश नहीं हुए. प्रतिवादियों में शामिल खेल मंत्रालय के प्रतिनिधि ने अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. जिसके बाद अदालत ने उन्हें 26 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले को 28 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.'
यह पता नहीं चल सका कि खेल मंत्रालय के साथ इस मामले में जवाब देने के लिए जिम्मेदार आईओए तदर्थ समिति ने अपना वकील क्यों नहीं भेजा क्योंकि समिति के प्रमुख भूपेंदर सिंह बाजवा ने फोन करने पर कोई जवाब नहीं दिया. डब्ल्यूएफआई के पिछली प्रणाली के एक अधिकारी ने कहा, ‘याचिका का जवाब देना तदर्थ पैनल का काम है. इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है. हमारा निकाय निलंबित है, हम इसमें कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं? हमने चुनाव अधिकारी को अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि असम कभी भी पूर्ण सदस्य नहीं था, इसके पास मतदान के अधिकार के बिना एक सहयोगी सदस्यता थी.'
इस मामले में दिलचस्प पहलू यह है कि डब्ल्यूएफआई ने 2015 और 2019 में भी चुनाव कराए थे लेकिन असम संघ ने तब पूर्ण सदस्यता की मांग को लेकर अदालत का रुख नहीं किया था. कुश्ती संघ के संचालन के लिए गठित तदर्थ समिति ने मतदाता सूची के लिए नाम भेजने की आखिरी तारीख 25 जून तय की थी और गुवाहाटी हाई कोर्ट ने उसी दिन चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी.