भारतीय कुश्ती महासंघ ने मंगलवार को तय किया कि वह निलंबन हटवाने के लिए खेल मंत्रालय से बातचीत करेगा और यह भी कहा कि फिलहाल वह सरकार से टकराव नहीं चाहता लेकिन बातचीत नाकाम रहने पर कानूनी विकल्पों पर विचार किया जाएगा. डब्ल्यूएफआई ने पहले कहा था कि निलंबन हटवाने के लिए वह कानून की शरण लेगा, लेकिन अपनी कार्यकारी परिषद की बैठक में उसने विचार बदल दिया. बैठक की अध्यक्षता डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने की जिसमें 12 अन्य चयनित सदस्यों ने भाग लिया.
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महासचिव प्रेम चंद लोंचाब और सीनियर उपाध्यक्ष देवेंदर कादियान ने बैठक में भाग नहीं लिया. संजय सिंह ने बैठक के बाद पीटीआई से कहा, 'हम सरकार से टकराव नहीं चाहते. हम अदालत का दरवाजा नहीं खटखटा रहे. हम मंत्रालय से समय मांगेंगे और सरकार से बात करने की कोशिश करेंगे.' यह पूछने पर कि सरकार से समय नहीं मिलने पर क्या करेंगे, उन्होंने कहा, 'पहले कोशिश तो कर लें. हम जानना चाहते हैं कि निलंबन हटवाने के लिए क्या करना होगा. यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने निलंबन के समय कुछ शर्ते रखी थीं. निलंबन का कारण चुनाव नहीं कराना था. सरकार ने हमें निलंबित किया लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह निलंबन कैसे हटेगा.'
उन्होंने कहा कि प्रदेश संघों ने कहा है कि पुणे में डब्ल्यूएफआई द्वारा राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कराए जाने पर वे टीमें भेजेंगे और जयपुर में नहीं भेजेंगे जहां तदर्थ समिति टूर्नामेंट कराना चाहती है. समझा जाता है कि प्रदेश संघों द्वारा ट्रायल के जरिए चुने गए कई पहलवानों ने पुणे की टिकट बुक करा ली है जहां 29 से 31 जनवरी तक डब्ल्यूएफआई राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कराने जा रहा है. तदर्थ समिति ने तीन फरवरी से जयपुर और उसके बाद जूनियर वर्ग की चैम्पियनशिप ग्वालियर में कराने की घोषणा की है.