भारतीय मुक्केबाजों दीपक भोरिया (51 किग्रा), मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) और निशांत देव (71 किग्रा) ने बुधवार को मेंस वर्ल्ड चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचते हुए तीन मेडल पक्के किए. मेडल के लिहाज से यह भारत का टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. क्वार्टर फाइनल में जीत का मतलब है कि ये तीनों ही मुक्केबाज कम से कम ब्रॉन्ज मेडल जरूर जीतेंगे.
इससे पहले भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2019 में था जब अमित पंघाल के सिल्वर और मनीष कौशिक के ब्रॉन्ज मेडल से भारत ने दो मेडल जीते थे. बुधवार को सबसे पहले रिंग में उतरे दीपक ने किर्गिस्तान के नूरझिगित दुशेबाएव को 5-0 के सर्वसम्मत फैसले से हराकर फ्लाईवेट वर्ग में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा.
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यह वेट कैटेगरी पेरिस ओलंपिक का भी हिस्सा है. दीपक ने मुकाबले में इस तरह से दबदबा बना कर रखा था कि रेफरी को दुशेबाएव के लिए दो बार गिनती करनी पड़ी थी। भारतीय मुक्केबाज ने शुरू से ही आक्रामक रवैया अपनाकर सटीक मुक्के जड़े.
दुशेबाएव ने 0-5 से पिछड़ने के बाद दूसरे राउंड में आक्रामक रवैया अपनाया लेकिन दीपक ने शानदार रक्षण और जवाबी हमले से उन्हें पस्त कर दिया. दीपक ने पहले दो राउंड अपने नाम करने के बाद तीसरे और अंतिम राउंड में रक्षात्मक रवैया अपनाया और अपने प्रतिद्वंदी को किसी तरह का मौका नहीं दिया.
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दो बार के कॉमनवेल्थ गेम्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हुसामुद्दीन को इसके बाद बुल्गारिया के जे डियाज इबानेज के खिलाफ काफी पसीना बहाना पड़ा. उन्होंने यह मुकाबला विभाजित फैसले में 4-3 से जीता. निशांत ने इसके बाद सर्वसम्मत फैसले में क्यूबा के जार्ज स्युलार को हराकर भारत के लिए तीसरा मेडल सुनिश्चित किया.
डिफेडिंग नेशलन चैंपियन 22 साल के निशांत ने आक्रामक तेवर दिखाए और मुकाबले के पूरे नौ मिनट के दौरान क्यूबा के विरोधी पर लगातार मुक्के बरसाए. निशांत पिछले टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल में हार गए थे. भारत ने अब तक वर्ल्ड चैंपियनशिप में सात मेडल जीते हैं. मेंस वर्ल्ड कप में भारत के लिए विजेंदर सिंह (2009 में ब्रॉन्ज), विकास कृष्ण (2011 में ब्रॉन्ज), शिव थापा (2015 में ब्रॉन्ज), गौरव बिधूड़ी (2017 में ब्रॉन्ज), पंघाल (2019 में सिल्वर), कौशिक (2019 मे ब्रॉन्ज) और आकाश कुमार (2021 में ब्रॉन्ज) मेडल जीत चुके हैं.