सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ 2 एफआईआर दर्ज कीं. यहां पहलवानों ने 6 बार के सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. प्राथमिकी में 6 वयस्क पहलवानों और एक नाबालिग का जिक्र है जिन्होंने कैसरगंज सांसद पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया.
बृजभूषण पर एफआईआर में कानून की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, वहीं उनके पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर को भी नामजद किया गया है. आइए एक नजर डालते हैं कि IPC और POCSO की विभिन्न धाराओं पर और उसके अंतर्गत मिलने वाली सजा पर-
पॉक्सो की धारा 10
(जमानती और गैर-जमानती)
इस धारा में अपराधी के खिलाफ संगीन यौन हमले के अपराध के तहत मामला दर्ज किया जाता है. अगर कोई नाबालिग पर संगीन यौन हमला करता है, तो उसे कम से कम पांच साल तक कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा. इस सजा को सात साल तक बढ़ाया जा सकता है या उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यह गैर जमानती अपराध है.
आईपीसी की धारा 354
(जमानती और गैर-जमानती)
भारतीय संहिता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इज्जत को खराब करने के इरादे से हमला करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है, तो उस व्यक्ति को कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल की सजा मिल सकती है.
आईपीसी की धारा 354ए
(जमानती और जमानती)
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला को बिना परमिशन के गलत निगाह रखते हुए छूता है या उस महिला पर अश्लील टिप्पणी/छींटाकशी करता है तो व्यक्ति को 3 साल की जेल या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा.
आईपीसी की धारा 354डी
(जमानती और जमानती)
जब कोई भी व्यक्ति किसी महिला का उसके मना करने के बावजूद उसका बार-बार पीछा करता है या इंटरनेट, फेसबुक पर महिला के मना करने के बावजूद उससे संपर्क साधने की कोशिश करता है तो उसे तीन साल तक की सजा मिलेगी. वहीं अगर वह यह अपराध दूसरी बार करता है तो उसे पांच साल तक की सजा हो सकती है.
आईपीसी की धारा 34
यदि कोई आपराधिक कार्य एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तो इसमें शामिल हर व्यक्ति उस गलत काम के लिए उत्तरदायी होगा और उन्हें 6 महीने से अधिक की अवधि के लिए जेल या जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा.