टोक्यो ओलंपिक(Tokyo Olympic) में भारत ने 7 मेडल जीतकर अबतक का अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया है. खेल को लेकर देश में एक नया जुनून देखने को मिल रहा है और खिलाड़ियों के प्रति लोगों का सम्मान भी बढ़ा है लेकिन असम के डिब्रुगढ़ से एक ऐसी खबर आ रही है कि खेल प्रेमियों का दिल बैठ सकता है.
साल 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भारत की टॉर्च बियरर रहीं पिंकी करमाकर(Pinky Karmakar) अब दिहाड़ी मजदूर का काम करती हैं. पिंकी डिब्रूगढ़(Dibrugarh) के बोरबोरुआ चाय बागान में रोजाना 167 रुपये की मजदूरी पर काम करती हैं और अपना जीवनयापन करती हैं.
बता दें 2012 में पिंकी का एयरपोर्ट पर स्वागत करने खुद तब के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल पहुंचे थे. आज से 9 साल पहले जिस पिंकी करमाकर को एयरपोर्ट से घर छोड़ने के लिए सीएम का काफिला आया था वो आज पैसे की मोहताज हैं और परिवार की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं.
बता दें कि पिंकी उन एथलीट्स में से नहीं थीं जिन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए क्वालिफाई किया हो. उन्हें यूनिसेफ ने चुना था. ओलंपिक में भारत की टॉर्च बियरर के तौर पर.
पिंकी का कहना है कि उनकी मां की मौत के कारण उन्हें अपने सपने छोड़ने पड़े और परिवार को संभालना पड़ा. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण चाय बागान में मजदूरी शुरू करनी पड़ी.
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