करगिल की जंग....वो लड़ाई जो दो महीने तक चली और इ युद्ध की जीत की कीमत 500 से ज्यादा वीरों की शहादत से चुकानी पड़ी, ठंडी ऊंची चोटियों से देश के सपूतों ने दुश्मन को ऐसे खदेड़ा कि सबक आने वाले कई सालों तक याद रहेगा,आइये इस दौरान याद करते हैं उन वीर जवानों को जिन्होंने अपने अदम्य साहस से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे.
मेजर पद्मपाणि आचार्य- राजपूताना रायफल्स के मेजर आचार्य को तोलोलिंग पर कब्जा करने के लिए भेजा गया, 28 जून 1999 को उन्होंने अपनी कंपनी को कमांड किया, दिक्कत ये थी कि पाकिस्तानी घुसपैठियों ने वहां माइंस बिछा रखी थी, इस दौरान दुश्मनों की कई गोलियां मेजर आचार्य को लगी, लेकिन वो अपने मिशन में बीच में नहीं रूके और घुसपैठियों को वहां से खदेड़ कर ही चौकी पर कब्जा किया. मेजर मिशन तो पूरा कर गए लेकिन जीवन के आगे हार गए और शहीद हो गए
लेफ्टिनेंट मनोज पांडे- 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट के लेफ्टिनेंट पांडेय की बटालियन सियाचिन में थी लेकिन उसी दौरान आदेश आया कि बटालियन को करगिल की ओर बढ़ना है. लेफ्टिनेंट पांडे ने 2 महीने तक बटालियन का नेतृत्व किया और कुकरथांग, जूबरटॉप जैसी चोटियों को दुश्मन के कब्जे से वापस लिया. लेकिन 3 जुलाई 1999 को खालूबार की चोटी पर कब्जा जमाने के दौरान
दुश्मनों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई. मनोज ने रात के अंधेरे का इंतजार किया और उसके बाद बटालियन ने विरोधियों के बंकर उड़ाने शुरू कर दिए. बटालियन ने तीन बंकर तबाह किए और वो बाकी बचे बंकर उड़ाने
के लिए बढ़ ही रहे थे कि उन पर गोलियां बरसाई गई. लेकिन वो गोलियों से नहीं डरे और उन्होंने चौथे बंकर को भी उड़ा दिया.
रायफलमैन संजय कुमार: 13 जम्मू कश्मीर रायफल्स के जवान संजय कुमार एक वक्त टैक्सी ड्राइवर थे और सेना की तरफ से तीन बार उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था. करगिल युद्ध के दौरान वो उस टुकड़ी का हिस्सा थे. जिसे मुश्कोह घाटी में प्वाइट 4875 के टॉप पर कब्जा करने की जिम्मेदारी दी गई थी.जैसे वो आगे बढ़े दुश्मनों की ओर से ऑटोमैटिक गन से गोलीबारी शुरू हो गई, टुकड़ी का बढ़ना मुश्किल हो गया. इसके बाद रायफल मैन संजय कुमार ने आमने सामने तीन पाक सैनिकों को ढेर कर दिया. ये देख पाकिस्तानी सैनिक मशीनगन छोड़कर भाग गए. लहुलूहान हालत में भी संजय की इस वीरता ने बाकी सैनिकों में जोश भर दिया और प्वाइंट फ्लैट टॉप
खाली करवा लिया
मेजर विवेक गुप्ता: कमान अधिकारी मेजर गुप्ता को तोतोलिंग की पहाड़ियों से दुश्मनों को भगाकर कब्जा करने का आदेश दिया गया था.12 जून की रात उनकी टीम चोटी पर कब्जा करने के लिए रवाना हुई.इस दौरान ज्यादा ऊंचाई
पर बैठे दुश्मनों की ओर से मेजर गुप्ता को 2 गोलियां लगी.लेकिन हार ना मानते हुए तीन दुश्मनों को ढेर कर बंकर पर अपना कब्जा जमा लिया और वहां पर तिरंगा झंडा फहरा दिया