बंगाल की शेरनी...स्ट्रीट फाइटर या कुछ और कह लीजिए...सच ये है कि ममता दीदी ही बंगाल की बॉस हैं. वे अब लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की CM बनने जा रही हैं. उनके राजनीतिक कौशल के सामने मोदी-शाह की दिग्गज जोड़ी बुरी तरह फेल साबित हुई...व्हील चेयर पर बैठे-बैठे ही ममता ने उनकी सारी रणनीति की हवा निकाल दी. राजनीतिक पंडित तो यही कह रहे हैं कि बंगाल की सभी 292 सीटों पर ममता ही चुनाव लड़ रही थीं...दरअसल ममता ने जब से होश संभाला तब से वे संघर्ष ही करती रहीं...आर्थिक तंगी की भट्टी में तपकर वे निकली हैं...आइए जानते हैं उनके बारे में
ममता: मुश्किल भरा रहा बचपन
5 जनवरी 1955 को कोलकाता में हुआ जन्म
जन्म के कुछ सालों बाद पिता का निधन, मां ने पाला
कोलकाता विवि से इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री ली
जोगेश चौधरी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई भी की
बचपन में ही पिता का साया सर से उठना फिर तंगी में जीवन गुजरने की वजह से ममता कभी भी हाईप्रोफाइल नहीं रही...दो बार की मुख्यमंत्री होने के बावजूद वे कालीघाट इलाके की हरीश चटर्जी स्ट्रीट स्थित अपने उसी घर में रहती हैं जहां उनका जन्म हुआ था...सूती साड़ी और रबर के हवाई चप्पल उनका पसंदीदा पहनावा है...इतनी साधारण होने के बावजूद उनकी उपलब्धियां असाधारण हैं.
ममता: नामुमकिन कुछ भी नहीं*
1976 में वे बंगाल महिला कांग्रेस की सचिव बनीं
1980 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की सचिव बनीं
1984 में उन्होंने दिग्गज सोमनाथ चटर्जी को हराया
1991 से 2009 तक वे लगातार 6 बार सांसद रहीं
नरसिंह राव सरकार और अटल सरकार में मंत्री रहीं
1997 में TMC की स्थापना की, 2001 में BJP से अलग हुईं
बंगाल में 34 सालों से चल रहे वामपंथ के शासन को उखाड़ा
अब 2021 में एक बार फिर वे बंगाल की सत्ता पर काबिज हो रही हैं....इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि वो बंगाल की नब्ज को पहचानती हैं...इस जीत के कई मायने हैं...अब वे देश में विपक्ष का चेहरा बन गई हैं....उनकी जीत पर विपक्षी नेताओं के संदेश तो यही संकेत देते हैं.