साल 2020 बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों के लिहाज से बेहद खास रहा. सत्ता की खींचतान, नेताओं की जुबानी जंग और चुनाव के मैदान में जोर-आजमाइश हर कुछ इस साल नजर आया. सियासत के गलियारे में कई ऐसे मुद्दे उठे जिसकी गूंज सड़क से संसद तक सुनाई पड़ी. एक तरफ दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में हैट्रिक लगाई तो दूसरी तरफ MP में कांग्रेस के भीतर हुए बगावत का लाभ उठाते हुए BJP ने सत्ता में वापसी की. एक तरफ बिहार चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद BJP-JDU ने सरकार बना ली तो वहीं दूसरी तरफ राजनीति के जादूगर अशोक गहलोत ने अपनी सरकार भी बचाई. इन सबके बीच साल के अंत में किसान आंदोलन की आंच से दिल्ली झुलसती नजर आई...आइए ऐसी ही 5 बड़ी सियासी घटनाओं पर डालते हैं नजर
1. केजरीवाल की दिल्ली में हैट्रिक
जनवरी महीने में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली समेत पूरे देश में प्रदर्शन हुए. दिल्ली का शाहीन बाग आंदोलन का सबसे बड़ा केन्द्र बनकर ऊभरा. ऐसे माहौल में दिल्ली की जनता ने फरवरी महीने में अपने लिए नई सरकार का चुनाव किया. चुनाव प्रचार के दौरान BJP ने ध्रुर्वीकरण की पूरी कोशिश की लेकिन केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दिल्ली में अपनी सत्ता बरकरार रखी
HEADER- केजरीवाल बोले, दिल्लीवालों आई लव यू !
केजरीवाल ने की दिल्ली में सत्ता की हैट्रिक लगाई
70 में से 62 सीटें जीतकर तीन चौथाई बहुमत हासिल किया
BJP को आठ सीटें मिलीं और कांग्रेस शून्य पर रही.
बाद में मनोज तिवारी की BJP प्रदेश अध्यक्ष पद से छुट्टी हुई
2. बिहार चुनाव में हुआ तेजस्वी का उदय
कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों के बीच बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन 125 सीटों के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही. नीतीश कुमार भले ही सातवीं बार बिहार के CM बने लेकिन ये चुनाव तेजस्वी के बड़े नेता के तौर पर उभरने के लिए भी याद किया जाएगा. तेजस्वी के तीखे चुनाव प्रचार और उनकी चुनावी सभाओं में उमड़ी भीड़ सियासत में नई करवट लेने के संकेत दे रहे हैं.
HEADER- चुनाव में चुके पर नेता बन गए तेजस्वी
बिहार चुनाव में RJD 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी
राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं
NDA को बहुमत से सिर्फ दो ज्यादा 125 सीटें मिलीं
तेजस्वी यादव महागठबंधन के निर्विवाद नेता के तौर पर उभरे
3. मध्य प्रदेश में फिर शिवराज का राज
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के हाथ से सत्ता छीनकर भाजपा का काबिज होना भी बड़ा सियासी घटनाक्रम रहा. राज्य में मामूली बहुमत के सहारे चल रही कमलनाथ की सरकार मार्च 2020 में गिर गई. ऐसा कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा देने की वजह से हुआ.
HEADER- कांग्रेस का मुरझाया 'कमल', लौटा शिव'राज'
10 मार्च को सिंधिया के साथ 22 MLA ने छोड़ा हाथ का साथ
20 मार्च को कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दिया
23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान फिर MP के मुख्यमंत्री बने
25 विधायकों की खाली हुई सीटों पर उपचुनाव में BJP ने 19 सीटें जीती
4. राजस्थान में बच गई गहलोत की सरकार
मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान में भी गहलोत सरकार गिराने की कोशिश हुई लेकिन अशोक गहलोत न सिर्फ राजनीति के जादूगर निकले बल्कि सचिन पायलट को भी झुकना पड़ा. नतीजन गहलोत की सरकार का हश्र कमलनाथ सरकार की तरह नहीं हुआ.
HEADER- राजनीति के 'जादूगर' ने बचाई सरकार
जुलाई महीने में डिप्टी CM सचिन पायलट ने 'बगावत' की
पायलट समेत 19 विधायकों ने हरियाणा में डेरा डाला
गहलोत और पायलट खेमे के बीच एक माह तक जोर आजमाइश चली
बाद में राहुल के दखल के बाद पायलट ने 10 अगस्त को सुलह कर ली
5. कांग्रेस के केंद्रीय टीम में संकट
नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह साल किसी बुरे दौर से कम नहीं था. जहां मध्य प्रदेश में उसे सरकार गंवानी पड़ी वहीं दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. देश के कई हिस्सों में हुए उपचुनाव में भी पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी. इन सबके बीच पार्टी के 23 बड़े नेताओं ने आलाकमान के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी भी जता दी.
HEADER- कांग्रेस में संकट और बढ़ा
MP में सरकार गंवाई, दिल्ली-बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन
अगस्त महीने में 23 बड़े नेताओं ने नेतृत्व संकट पर सवाल उठाए
गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, शशि थरूर जैसे नेता शामिल
CWC की बैठक में तीखी जुबानी जंग हुई, चुनाव समेत तमाम मांगें उठाईं
इन सबके अलावा अकाली दल का NDA का साथ छोड़ना, जगत प्रकाश नड्डा का BJP अध्यक्ष चुना जाना और किसान आंदोलन की आंच से दिल्ली का झुलसना भी साल 2020 के बड़े सियासी घटनाक्रम रहे. जिनका असर साल 2021 पर पड़ना लाजिमी है.