कोरोना की दूसरी लहर के महासंकट के बीच बीते दो महीने में मीडिया जगत की सुर्खियों में कोई खबर रहा है तो वो है पांच राज्यों का चुनाव...इन सभी राज्यों के नतीजे अहम हैं लेकिन चुनाव के ऐलान से लेकर अब तक जिस राज्य की सबसे ज्यादा चर्चा रही वो है पश्चिम बंगाल...दिल्ली की सत्ता पर काबिज BJP ने साल 2014 से ही इस राज्य में अपना पूरा जोर लगा रखा है तो वहीं खुद को बंगाल की शेरनी कहने वाली ममता बनर्जी को अपनी स्ट्रीट फाइटर की इमेज के सहारे सत्ता में वापसी का भरोसा है. अब बंगाल में राइटर्स बिल्डिंग की चौखट कौन लांघता है इसका पता तो दो मई को ही चलेगा...लेकिन जरा पीछे मुड़कर देखें तो बंगाल चुनाव में लोकतंत्र की हार होती दिखती है...नैतिकता के लिहाज से भी और भौतकिता के लिहाज से भी...
GFX प्लेट- बंगाल की राजनीति में घुसा धर्म
बीजेपी ने शुरू से ही बंगाल में हिंदू वोटों का धुर्वीकरण किया
जय श्रीराम का नार हर मंच से लगाया जाने लगा
दुर्गापूजा से लेकर सरस्वती पूजा तक हुआ संग्राम
ममता भी अलग-अलग मंचों पर चंडी पाठ करती दिखीं
चुनाव में अपना गोत्र और जाति तक बताने की नौबत आई
खुद प्रधानमंत्री बांग्लादेश में ठाकुरबाड़ी तक पहुंच गए GFX OUT
कहने को ये कहा जा सकता है कि मर्यादापुरुषोत्तम राम का नाम लेना या चंडी पाठ करने में गलत क्या है...दरअसल गलत ये है कि संविधान हमें धर्म के नाम पर वोट मांगने की इजाजत नहीं देता....लोकतंत्र तो लोक की बात करने से मजबूत होता है जो इस पूरे चुनाव में तकरीबन हाशिए पर रहा...वैसे भी बंगाल भद्रजनों का लोक कहा जाता है....तीन दशकों के वामदलों के शासन में यहां कभी भी धर्म चुनाव का आधार नहीं बना....अब बात कोरोना संकट की...कोरोना की बात इसलिए क्योंकि इस चुनाव ने बंगाल को कोरोना का खौफनाक गिफ्ट दिया...चुनाव के ऐलान के बाद से अब तक बंगाल में कोरोना के मामलों में 75 गुना की बढ़ोतरी हुई है...ये कितना गंभीर मामला है इसका पता मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से भी चलता है....हाईकोर्ट ने यहां तक कह दिया कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए...ऐसी टिप्पणी भारत के चुनावी इतिहास में शायद ही किसी कोर्ट ने की होगी....बहरहाल जरा और गहराई से समझ लेते हैं इन चुनावों ने बंगाल को कोरोना का कैसा जख्म दिया
GFX मिला कोरोना का खौफनाक दंश
26 फरवरी को बंगाल में 216 नए कोरोना केस आए थे
27 अप्रैल को 16403 नए केस दर्ज किए गए
26 फरवरी को पॉजिटिविटी रेट 1 फीसदी थी
27 अप्रैल को ये दर बढ़कर 30 फीसदी हो गई
26 फरवरी को राज्य में 3,343 एक्टिव केस थे
27 अप्रैल को बढ़कर ये 1 लाख से ज्यादा हो गए
चुनाव के दौरान 4 प्रत्याशियों की कोरोना से मौत GFX OUT
जब राज्य में कोरोना को लेकर कोहराम मचा तो चुनाव आयोग ने 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार खत्म करने और रैलियों में 500 लोगों के जुटने जैसे आदेश जारी कर अपना पल्ला झाड़ लिया...सवाल ये है कि चुनाव ने जो बंगाल की जनता की सेहत बिगाड़ी है क्या उसने लोकतंत्र को मजबूत किया है? चुनावी आयोजन संवैधानिक मजबूरी हो सकते हैं लेकिन जिस तरीके से ये चुनाव हुए हैं वो क्या लोकतंत्र को कमजोर नहीं करते?