साल 2020 को कोरोना महामारी के लिए याद रखा जाएगा. वायरस के चलते दुनियाभर में लॉकडाउन लागू हुआ और हम सभी के जीवन पर इसका प्रभाव पड़ा. लेकिन एक सेक्टर ऐसा है जिस पर कोरोना ने घातक रूप से असर डाला है और इसकी कमर तोड़ कर रख दी है. ये है टूरिज़म यानि पर्यटन सेक्टर . लॉकडाउन और फ्लाइट्स बंद होने कारण टूरिज़म सेक्टर बिलकुल चौपट हो गया और हजारों की संख्या में इसमें काम करने वाले लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी.
अब आम बजट की तैयारी जारी है और इस सेक्टर से जुड़े लोगों ने सरकार से उचित राहत और प्रोत्साहन देने की उम्मीद जताई है. इस उद्योग में सक्रिय कई लोगों ने सरकार से विशेष प्रोत्साहन पैकेज देने की मांग भी की है. जानकारों का मानना है कि इस प्रकार का प्रोत्साहन पैकेज मिलने से इस क्षेत्र को पटरी पर लाना आसान होगा और लाखों लोगों को रोजगार मुहैया करना संभव हो पाएगा. इसके अलावा और क्या हैं टूरिजम सेक्टर की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीताराम से मांगें, आइए जानते हैं...
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हेडर: पर्यटन उद्योग को पंख दे पाएगा बजट ?
सब हेडर: सरकार से मांग- घरेलू यात्रा में मिले छूट
वीओ: पर्यटन उद्योग चाहता है की सरकार घरेलू यात्रा में लोगों को छूट दे. यानी अगर आप देश के भीतर कहीं यात्रा पर जाते हैं तो आपको इनकम टैक्स में छूट या किसी अन्य प्रकार से प्रोत्साहन दिया जाए. इंडस्ट्री से जुड़े कुछ एक्सपर्ट्स ने तो ये तक सुझाव दिया है कि घरेलू यात्रा के दौरान किए जा रहे खर्च में 50,000 रुपये की राशि को आयकर छूट में शामिल किया जाए. जानकारों के मुताबिक सरकार के इस प्रकार के कदम से पर्यटन को ना केवल गति मिलेगी बल्कि देश के अपने टूरिस्ट स्पॉट्स की भी बेहतर ब्रांडिंग हो पाएगी.
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सरकार से मांग- राष्ट्रीय पर्यटन परिषद का गठन
वीओ: टूरिज़म सेक्टर को उम्मीद है कि एक राष्ट्रीय पर्यटन परिषद का गठन किया जाए. जानकारों के मुताबिक पटरी से उतरे इस उद्योग को दोबारा पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार और राज्यों के बीच एक साझा दृष्टिकोण बनाये जाने की आवश्यकता है. लिहाजा उद्योग जगत से जुड़े लोग चाहते हैं कि खुद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक ऐसे परिषद् का गठन हो जो कि देश में पर्यटन से संबंधित संभावनाओं और योजनाओं पर गंभीरता से काम करे. राज्य के मुख्यमंत्री खुद इस परिषद् के सदस्य हों और अधिकारीयों के साथ मिलकर एक ठोस रणनीति को अमल में लाया जाए.
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सरकार से मांग- उद्योग जगत के ऋण का पुनर्गठन
वीओ:एक रिपोर्ट के मुताबिक हॉस्पिटलिटी क्षेत्र पर करीब 55,000 करोड़ रुपये का ऋण बकाया है. इतना ही नहीं लॉकडाउन और उसके बाद के प्रभावों के कारण हॉस्पिटैलिटी और पर्यटन क्षेत्र के सामने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक का जोखिम है. ऐसे में क्षेत्र से जुड़े लोग चाहते हैं कि सरकार की तरफ से लोन की री-स्ट्रक्चरिंग की जाए. जानकारों के मुताबिक अगर लोन को री-स्ट्रक्चर नहीं किया गया तो ऋण के बोझ तले दबा ये सेक्टर आगे नहीं बढ़ पाएगा.
अब सभी की उम्मीदें और नजरें केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ और उनके बजट भाषण पर हैं कि कैसे वो देश के पर्यटन उद्योग को नए पर देती हैं