अमेरिका पर 9/11 टेरर अटैक को 20 साल पूरे हो गए हैं. 9/11 के बाद अमेरिका ने 'वॉर ऑन टेरर' के नाम पर इन 20 सालों में दुनिया के करीबन 85 देशों में सैन्य कार्रवाई की है, तो कई देशों में युद्ध की तरह सैन्य रूप से एक्टिव रहा है. अफ़गानिस्तान में तो अल कायदा के सफाए के लिए पूरे 20 साल रहा है अमेरिका, और अब 20 साल बाद उसने अफगानिस्तान में अपना युद्ध खत्म किया है.
लेकिन इन 20 सालों की मेहनत के बाद वहां बनी है वो सरकार जिसके पीएम से लेकर गृह मंत्री तक दुनिया के आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल हैं. अल कायदा से तालिबान की दोस्ती जगजाहिर है, और इंडिया का मोस्ट वांटेड जैश का आतंकी मसूद अजहर अफगानिस्तान में मजे से घूम रहा है.
तो जनाब पूछना और जानना दोनों बनता है कि इन 20 सालों में अमेरिका के वॉर ऑन टेरर ने क्या किया है और इसकी इंसानी कीमत क्या रही है?
>> हवाई हमलों में 22000 से 48000 नागरिकों की मौत
Civilian Harm Monitoring Group Airwars की स्टडी बताती है कि साल 2001 में 9/11 हमलों के बाद से अमेरिका ने वॉर ऑन टेरर के तहत करीबन 1 लाख ड्रोन और हवाई हमले किए हैं. Airwars के मुताबिक इन हमलों में कम से कम 22000 से लेकर 48000 बेकसूर नागरिक मारे जा चुके हैं.
Airwars की ये स्टडी US आर्मी के हवाई हमलों के आंकड़ों पर आधारित है. ये हमले अमेरिका ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट, इराक और अफगानिस्तान के साथ साथ यमन, सोमालिया, पाकिस्तान और लीबिया में किए हैं.
>> हवाई हमलों के सबसे खूनी साल
2003: बीते 20 सालों में सबसे खूनी साल 2003 था, जब इराक पर अमेरिकी हमले के दौरान वहां कम से कम 5600 आम नागरिक मारे गए थे.
2017: साल 2017 तो बेहद खूनी रहा है. इस साल इराक और सीरिया पर अमेरिकी ड्रोन और दूसरी बमबारी में 5000 से लेकर 20,000 आम नागरिक मारे गए. ये बमबारी अमेरिका ने इस्लामिट स्टेट को निशाना बनाकर किया था.
हालांकि पेंटागन का कहना है कि उसके पास हवाई हमलों में मरने वाले आम नागरिकों की मौत का आंकड़ा और जानकारी नहीं है.
>> कॉस्ट ऑफ वॉर प्रोग्राम: अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के 'Cost of War Programme' की रिसर्च के मुताबिक...
- कम से कम 3,87,000 आम नागरिक इस वॉर ऑन टेरर के दौरान सभी पक्षों के हमलों में मारे जा चुके हैं
- करीब 4 करोड़ लोग बेघर हुए हैं
- 85 देशों में अमेरिका ने काउंटर टेररिज्म एक्टिविटी की है
- वॉर ऑन टेरर पर अमेरिका 8 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च कर चुका है
- इसमें से अकेले अमेरिका ने अफगानिस्तान में 2.26 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए हैं
इतना सब कुछ करने के बाद अमेरिका का हासिल ये है कि अफगानिस्तान में उसने जो सेना बनाई वो बिना लड़े हार गई और तालिबान सरकार में वो लोग पीएम और गृह मंत्री बने हैं जो ग्लोबल टेरर लिस्ट में शामिल हैं.