जनरल बिपिन रावत के गुरु रहे रिटायर्टड कर्नल मनोज बर्मन ने हादसे पर दुख जताते हुए इसके पीछे साजिश का भी अंदेशा जताया. उनके अलावा पूर्व ब्रिगेडियर सुधीर सावंत और कई राजनेताओं ने भी बिपिन रावत की मृत्यु की वजह पर सवाल खड़े किए.
CDS Bipin Rawat का हेलिकॉप्टर क्रैश हादसा या साजिश. ये वो सवाल है जो बहुत से लोगों के दिमाग में कौंध रहा है. सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर इतना सुरक्षित हेलिकॉप्टर और इतने वीवीआई शख्सियत के साथ उठान फेल कैसे हो सकती है ?
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के गुरु रहे रिटायर्टड कर्नल मनोज बर्मन ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा है साजिश का भी अंदेशा जताया है. उन्होने कहा है कि ''बिपिन रावत सेना के सर्वोच्च पद पर थे, उनके कार्यकाल में सेना ने इतिहास के बड़े स्ट्राइक किये, इसके चलते इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हेलीकॉप्टर महज हादसा न होकर साजिश भी हो सकता है.''
1978 में कर्नल मनोज बर्मन से ही IMA में जनरल बिपिन रावत ने ट्रेनिंग ली थी.
कर्नल बर्मन के अलावा पूर्व ब्रिगेडियर सुधीर सावंत ने भी साजिश का अंदेशा जताया है. उन्होने एजीटरजी से बातचीत में लिट्टे पर शक जताया है. आप नेता संजय सिंह भी हादसे पर हैरानी जताते हुए जांच की बात कही.
हादसे से पहले सामने आए आखिरी वीडियो में देखा जा सकता है कि हेलिकॉप्टर बेहद नीचे उड़ रहा था. और अचानक वो बादलों में खो कर क्रैश हो जाता है. चश्मदीद ने बताया कि हेलिकॉप्टर इतना नीचे आ गया था कि वो सीधे पेड़ से जा टकराया और फिर उसमें आग लगी और धमाके होने लगे.
हादसे से ठीक पहले के वीडियो में हेलिकॉप्टर बेहद नीचे उड़ान भरता है और फिर धुंध में गायब हो जाता है. जबकि रूस में बना ये हाईटेक हेलिकॉप्टर ऊंची उड़ान में बेहद कारगर माना जाता है. सवाल ये भी है कि क्या पायलट को एयर ट्रैफिक कंट्रोल या आर्मी कंट्रोल से मौसम को लेकर कोई अलर्ट नहीं मिला था? वैसे भी Mi-17V बहुत ही विश्वसनीय चॉपर है.
उत्तराखंड जैसे राज्यों में ऊंचाई पर राहत बचाव कार्य के लिए इसका इस्तेमाल अक्सर होता है. हादसे के ठीक बाद मीडिया में जो बात सामने आई वो ये थी कि खराब मौसम की वजह से ये हादसा हुआ. अगर ऐसा है भी तो कई सवाल उठते हैं?
इस हादसे को बहुत हद तक मानवीय चूक भी माना जा रहा है. हालांकि ऐसे VVIP उड़ान के प्रोटोकॉल को देखें तो इसकी संभावना भी बेहद कम दिखती है.
क्रैश हुए Mi-17V चॉपर का ब्लैक बॉक्स मिल चुका है. ये वो डिवाइस है जिसमें एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ पायलट की बात रिकार्ड होती है. उसके खुलने से ही ये साफ हो जाएगा कि क्या पायलट ने कोई डिसट्रेस सिग्नल दिए थे.
कहीं चापर में कोई तकनीकी खराबी तो नहीं आ गयी थी. इन तमाम सवालों के जवाब अब जांच रिपोर्ट के जरिए ही सामने आ सकते हैं जिसका पूरे देश को बेसब्री से इंतजार है.
ये भी पढ़ें | CDS Bipin Rawat: 9 साल, 7 हादसे और 30 लोगों की मौत...देखें Mi-17 का 'काला इतिहास'