आखिर वही हुआ जिसका डर था सभी पांच चुनावी राज्यों में (In five electoral states) कोरोना के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. ये कहना गलत नहीं होगा कि तमाम चेतावनी के बावजूद सरकार और चुनाव आयोग (Election commission) ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में लोगों की जान जोखिम में डाल दी है...दरअसल आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. चुनाव वाले राज्यों बंगाल में 420%, असम में 532%, केरल में 103%, पुडुचेरी में 165% और तमिलनाडु (Tamil Nadu) में 169% कोरोना केस बढ़े हैं. एक आकलन के मुताबिक चुनावी राज्यों में कोरोना से होने वाली मौतों में भी 40 से 45% का इजाफा हुआ है. चिंता की बात ये है कि पश्चिम बंगाल (West Bengal)में तो अभी कई फेज के चुनाव बाकी हैं....जाहिर है हालात अभी और खराब होने वाले है. इन राज्यों में करीब-करीब एक मार्च से चुनावी रैलियां शुरू हुई हैं...आइए जानते हैं कि तब से लेकर अब तक हालात कैसे खराब हुए.
gfx in कोरोना की चुनावी रैली
पश्चिम बंगाल
1 मार्च: 200 नए केस
13 अप्रैल: 3,700 new cases
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तमिलनाडु
1 मार्च: 470 नए केस
13 अप्रैल: 5,700 नए केस
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केरल
1 मार्च : 3500 नए केस
13 अप्रैल: 5,600 नए केस
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असम
1 मार्च: 23 नए केस
13 अप्रैल: 378 नए केस
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पुडुचेरी
1 मार्च: 19 नए केस
13 अप्रैल: 313 नए केस gfx out
चुनावी रैलियों में जुटी भीड़ इन राज्यों पर कितनी भारी पड़ी इसे समझने के लिए कुछ राज्यों के और आंकड़ों पर भी नजर डालते हैं. मसलन पश्चिम बंगाल में 16 से 31 मार्च तक कोरोना के 8062 नए केस आए थे जबकि 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक यहां कुल 41 हजार 927 केस आए है. केरल में चुनाव के पहले 15 दिनों में 30 हजार 390 केस आए लेकिन चुनाव प्रचार शुरू होने के 15 दिनों में ये संख्या बढ़कर 61 हजार 793 हो गई. जाहिर है ये आंकड़े डराते हैं लेकिन हकीकत यही है कि इन राज्यों में चुनावी गतिविधियों ने कोरोना की आग में घी का काम किया है.....सवाल ये है कि क्या अब भी बंगाल में चुनाव आयोग नींद से जागेगा.