आम आदमी पार्टी में पार्टियों का दौर जारी है... क्योंकि MCD चुनाव में मिली प्रचंड जीत के अगले दिन गुजरात से भी उसके लिए अच्छी खबर आई. जहां वो पहली बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ी और 12 फीसदी से अधिक वोट अपनी झोली में समेट लिया. केजरीवाल एंड पार्टी को इसका एहसास पहले से था...तभी तो अंतिम नतीजे आने से पहले ही दिल्ली में AAP के दफ्तर के बाहर एक नया बोर्ड लगा दिया गया है. जिसपर लिखा है. 'AAP' के राष्ट्रीय पार्टी बनने पर बधाई. चलिए अब आपको इसका पूरा गणित समझाते हैं?
दरअसल 'आम आदमी पार्टी' वो शर्तें पूरी करती दिख रही है, जिससे किसी क्षेत्रीय दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलता है. एक दिन पहले दिल्ली नगर निगम चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद 'आम आदमी पार्टी' का गुजरात और हिमाचल दोनों राज्यों में वोट शेयर बढ़ा है. गुजरात में तो कुछ सीटें भी उसकी झोली में चली गई हैं. गौरतलब है कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है, जबकि गुजरात से पहले उसे गोवा विधानसभा चुनाव में भी 6.8 फीसदी वोट मिले थे.
यहां समझिए कि कैसे किसी सियासी दल को 'राष्ट्रीय पार्टी' का दर्जा कैसे मिलता है. उसके लिए तीन शर्तें हैं.
1- कोई भी दल जिसे चार राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो, उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है.
2- कोई पार्टी तीन अलग- अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतती है. यानी कम से कम 11 सीटें जीतती है, लेकिन यह 11 सीटें किसी एक राज्य से ना होकर 3 अलग-अलग राज्यों से होनी चाहिए.
3- कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करती है, तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है.
आम आदमी पार्टी दिल्ली, पंजाब, गोवा और अब गुजरात में 6 फीसदी से ज्यादा वोट प्राप्त कर चुकी है, इसीलिए अब वो राष्ट्रीय पार्टी कहलाने का हक रखने लगी है. हालांकि आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान चुनाव आयोग ही करेगा.
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