हिमाचल प्रदेश के बाद गुजरात में भी विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) की रणभेरी बज गई है. इस बार चुनाव आयोग (Election Commission) ने क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों (Criminal Background Candidates) पर नकेल कसने की विशेष तैयारी की है. क्रिमिनल बैकग्राउंड के नेताओं को प्रत्याशी बनाने पर पार्टियों की जिम्मेदारी भी बढ़ने वाली है. राजनीतिक दल अगर ऐसे उम्मीदवार को टिकट देते हैं. जिसका क्रिमिनल बैकग्राउंड है. तो पॉलिटिकल पार्टी को यह बताना होगा कि उन्हें उनके अलावा कोई और कैंडिडेट क्यों नहीं मिला. यानी राजनीतिक दल को ये जानकारी देने होगी कि वो बेदाग उम्मीदवार क्यों नहीं ढूंढ़ सके, साथ ही अपनी वेबसाइट, अखबारों और चैनलों पर तीन बार ये जानकारी पेश करनी होगी.
इसके अलावा चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि उम्मीदवार और पार्टी दोनों को ही अपराधों से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक करनी होगी. क्रिमिनल बैकग्राउंड के उम्मीदवारों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना होगा. उन्हें अपने अपराध के बारे में एक राष्ट्रीय, एक क्षेत्रीय मीडिया और सोशल मीडिया में तीन बार अपराध की जानकारी पब्लिश करनी होगी.
क्रिमिनल बैकग्राउंड के 'नेताजी'
गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) 2017 में कुल 1 हजार 815 उम्मीदवारों में से 14 प्रतिशत के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. 253 उम्मीदवारों में से 154 पर हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. वहीं 2012 गुजरात विधानसभा चुनाव में 31% से ज्यादा विधायक ऐसे चुने गए जिनका आपराधिक इतिहास था. इनमें से 21% विधायकों पर गंभीर किस्म के अपराध है.
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वहीं 2022 विधानसभा की बात करें तो अभी तक हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Elections) में प्रत्याशियों का ऐलान हुआ है. ADR की रिपोर्ट के मुताबिक 94 यानी 23 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. जिनमें से 50 यानी 12 प्रतिशत प्रत्याशी गंभीर आपराधिक मामलों वाले हैं. जबकि गुजरात में अभी प्रत्याशियों का ऐलान होना है.