Gujarat Election : गुजरात में धूल-धूसरित हो गई कांग्रेस, जानिए क्या है हार की 5 वजहें ?

Updated : Jul 21, 2023 21:31
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Prashant Sharma

महात्मा गांधी और सरदार पटेल के गुजरात में साल 1985 में सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेस ने साल 2022 में अपनी सबसे बड़ी हार का रिकॉर्ड बना लिया...ये तब है जब पिछली बार यानी साल 2017 में उसने 77 सीटें जीतकर बीजेपी को 100 सीटों से नीचे रोक दिया था...इस बार कांग्रेस न तो बीजेपी के 27 साल के एंटी इनकंबेसी का फायदा उठा पाई और न ही अपनी साख ही बचा पाई...आखिर वो कौन सी 5 वजहें रहीं जिसकी वजह से गुजरात में कांग्रेस दहाई का भी आंकड़ा पार नहीं कर पाई... देखिए इस रपट में 
 
1- मोदी फैक्टर 

कांग्रेस की हार की सबसे बड़ी वजह बना पीएम मोदी का ताबड़तोड़ चुनावी प्रचार और कांग्रेस के पास मोदी के कद का किसी बड़े नेता का ना होना. पीएम मोदी के कद के आगे कांग्रेस के सभी नेता बौने साबित हुए और जिन राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर दी थी, वो गुजरात में प्रचार करने ही नहीं आए और 'भारत जोड़ो यात्रा' में व्यस्त रहे. पीएम मोदी के गुजराती लोगों के खास कनेक्शन की वजह से कांग्रेस नेताओं की एक ना चली. 

2- मिल्लकार्जुन खड़गे का 'रावण' वाला बयान 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी की तुलना रावण से करके जैसे सेल्फ गोल कर दिया. राहुल गांधी की जगह गुजरात में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार की कमान खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संभाली, लेकिन बजाए कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के बजाए खड़गे ने पीएम मोदी को लेकर 'रावण' वाला बयान दे दिया, जिसके बाद इसी बयान पर घमासान मच गया और कांग्रेस के बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे कहीं गायब हो गए. 

3- कांग्रेस नेताओं का पार्टी छोड़कर जाना 

चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए और उन्हें रोका नहीं जा सका. 2017 में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस को देखकर लग रहा था, कि 2022 में वो बीजेपी के लिए कड़ी टक्कर देने वाली साबित होगी. लेकिन पार्टी की अंदरूनी कलह के चलते कई नेता कांग्रेस छोड़कर चले गए, जिनमें हार्दिक पटेल जैसे नेता भी शामिल थे. इन्हीं नेताओं के जाने का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा. 

4- कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी 

चुनावी कैंपेन के वक्त कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी थी और उसे साफ तौर पर देखा गया. 
कांग्रेस के कई नेताओं के ठीक चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने पर कार्यकर्ताओं में जैसे उत्साह गायब हो गया था. बड़े नेता भले ही भाषणों के जरिए जान फूंकने की कोशिश करते रहे लेकिन कार्यकर्ताओं में जीत का उत्साह नहीं दिखा. वहीं राहुल गांधी का प्रचार के लिए नहीं जाना भी कार्यकर्ताओं में पहले ही उत्साह में कमी ला चुका था. 

5- AAP ने की कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी 

AAP ने कांग्रेस के वोटबैंक में सेंधमारी कर दी, जिससे कांग्रेस को सीधे नुकसान हुआ. आम आदमी पार्टी ने गुजरात में पूरे जोर-शोर के साथ चुनाव प्रचार किया. उसने सीधे बीजेपी से टक्कर ली, लेकिन नुकसान उठाना पड़ा कांग्रेस को. AAP को गुजरात में करीब 13 फीसदी वोट मिले और कांग्रेस के वोटबैंक में गिरावट देखने को मिली. यानि कई लोगों ये मानने लगे की गुजरात में मुकाबला बीजेपी वर्सेस आप होता जा रहा है..ये सोच भी कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी. 

यहां भी क्लिक करें: AAP national party : क्षेत्रीय नहीं नेशनल पार्टी होने वाली है AAP, समझिए कैसे मिलता है ये दर्जा ?

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