Gujarat Election: हार्दिक पटेल (Hardik patel) एक ऐसा नाम है जिनके बारे में ये कहा जा सकता है कि वो परिचय के मोहताज नहीं है...पाटीदार आंदोलन से लेकर BJP के खेमे में शामिल होने तक वो लगातार खबरों में रहे हैं लेकिन अब वे जीवन में पहली बार चुनामी मैदान में खड़े होकर माननीय बनना चाहते हैं...हालांकि BJP ने उन्हें ऐसी सीट से मैदान में उतारा है जहां पिछले 10 सालों से कांग्रेस (Congress) का कब्जा है. जानते हैं वीरमगाम सीट के समीकरण को जहां से हार्दिक चुनाव लड़ रहे हैं.
ये भी पढ़ें: Gujarat Election: बच्ची की कविता के कायल हुए PM मोदी, एक मिनट में गिना दी BJP की उपलब्धियां...देखें Video
दरअसल वीरमगाम (Viramgam) से हार्दिक पटेल (Hardik patel) का पुराना नाता और वहां उनकी लोकप्रियता भी है. 29 साल के पटेल अहमदाबाद के वीरमगाम तालुका के चंद्रनगर गांव के ही रहनेवाले हैं. पटेल का पालन-पोषण भी वीरमगाम में ही हुआ है, और पाटीदार आंदोलन का बड़ा नाम होने के नाते हार्दिक यहां लोकप्रिय भी हैं. इसके साथ ही पटेल पहले ही वादा कर चुके हैं कि वीरमगाम को एक जिले का दर्जा मिले, जिसकी मांग यहां के ग्रामीण करते आए हैं और इस मुद्दे को उठाने के लिए पटेल के मुरीद हो रहे हैं.
वीरमगाम सीट क्यों है खास?
BJP के लिए वीरमगाम सीट इसलिए अहम है क्योंकि पिछले दस सालों से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. कांग्रेस विधायक लाखाभाई भारवाड़ ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तेजश्री पटेल को 6500 से अधिक मतों के अंतर से हराया था. दिलचस्प बात यह है कि 2012 के चुनावों में तेजश्री पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और बीजेपी के प्रागजी पटेल को 16,000 से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी थी. लेकिन, 2017 में पाला बदलने पर जनता ने तेजश्री को खारिज कर दिया, और अब मौजूदा विधायक लाखाभाई भारवाड़ से ये सीट छीनने के लिए बीजेपी ने फिर कांग्रेस से पाला बदल पार्टी में आए युवा नेता हार्दिक पटेल को खड़ा किया है. जिसपर जनता भरोसा करती है या तेजश्री की तरह ही खारिज कर देती है ये देखना दिलचस्प होगा.
वीरमगाम में कितने मतदाता?
वीरमगाम में मतदाताओं की बात करें तो यहां लगभग तीन लाख वोटर्स हैं, जो यहां से खड़े उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. इनमें 65,000 ठाकोर (ओबीसी) मतदाता, 50,000 पाटीदार या पटेल मतदाता, लगभग 35,000 दलित, 20,000 भारवाड़ और रबारी समुदाय के मतदाता, 20,000 मुस्लिम, 18,000 कोली सदस्य और 10,000 कराडिया (ओबीसी) राजपूत शामिल हैं. हालांकि, इस सीट को जातिगत राजनीति से मुक्त माना जाता है क्योंकि अल्पसंख्यक समुदाय समेत विभिन्न जाति और धर्मों के नेता इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. लेकिन फिर भी ठाकोर समुदाय के बाद यहां सबसे ज्यादा करीब 50000 पाटीदार वोटर्स ही हैं, जिसका फायदा हार्दिक पटेल को मिल सकता है.