Lok Sabha Elections: देश में लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग हुई. वोटर्स में भी उत्साह दिखा लेकिन इस बीच नागालैंड के छह जिलों में एक भी वोट नहीं डाला गया है. यहां मतदान कर्मी बूथों पर नौ घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन 4 लाख वोटर्स में से एक भी वोट देने नहीं आया. यहां तक कि 20 विधायकों ने भी मतदान नहीं किया. इसके पीछे वजह क्या रही हम बताते हैं. दरअसल, ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स संगठन (ENPO) साल 2010 से नागालैंड के छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक राज्य बनाने की मांग कर रहा है. इसी मांग को लेकर संगठन ने लोगों से वोट न देने का आह्वान किया था. जिसकी वजह से छह जिलों में शून्य फीसदी वोटिंग हुई. हालांकि चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए अब चुनाव आयोग ने ENPO को नोटिस जारी किया है.
20 विधायकों ने भी नहीं डाला वोट
नागालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग ने बताया कि क्षेत्र के 738 मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान कर्मी मौजूद थे, जिसमें 20 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि नौ घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया. इतना ही नहीं, 20 विधायकों ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. नागालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं.
ENPO क्या है ?
PTI के मुताबिक मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने शुक्रवार को पुष्टि की कि राज्य सरकार को ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) की एफएनटी की मांग से कोई समस्या नहीं है क्योंकि वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी है. ENPO पूर्वी क्षेत्र के सात आदिवासी संगठनों का शीर्ष निकाय है.
अलग राज्य की मांग
बता दें कि ENPO ये आरोप लगाते हुए छह जिलों वाले एक अलग राज्य की मांग कर रहा है कि लगातार सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया है. हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके.
ये भी पढ़ें: Extramarital Affairs तलाक का आधार हो सकता है, बच्चे की कस्टडी देने का नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट