Amethi : कांग्रेस और गांधी परिवार का गढ़ रहे अमेठी की लोकसभा चुनाव 2024 में भी काफी चर्चा है. दरअसल यूपी के हॉट सीट में शुमार अमेठी में नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस ने इस सस्पेंस को खत्म किया कि राहुल या प्रियंका यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और पार्टी ने गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा को अपने प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा है. दशकों बात ऐसा हुआ है जब अमेठी से गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है.
इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सांसद रहे हैं. यहां तक कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और राजीव गांधी ने अपने 'चुनावी रण' की शुरुआत भी अमेठी से की.
अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आयी. 1967 और 1972 से कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी ने जीत हासिल की उन्होने भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार को हराया. आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में संजय गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा लेकिन भारतीय लोक दल के उम्मीदवार रवींद्र प्रताप सिंह के हाथों हार गए. 1980 के चुनाव में संजय गांधी अमेठी से जीत कर पहली बार सांसद बने, हालांकि कुछ महीने बाद ही विमान हादसे में उनकी मौत हो गयी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने बड़े बेटे राजीव गांधी को अमेठी उपचुनाव में उतारा. राजीव गांधी की जीत हुई लेकिन इस फैसले ने इंदिरा गांधी के घर में फूट पड़ गई. संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने संजय विचार मंच के नाम से अपना राजनीतिक दल बनाया और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए 1984 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गईं हालांकि उनकी हार हुई और राजीव गांधी 3 लाख से ज्यादा मतों से जीते. 1989 में भी राजीव गांधी यहां से विजयी हुए. इस चुनाव में महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी उनके प्रतिद्वंदी थे फिर भी उन्होने 2 लाख से ज्यादा मतों से हराया. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद इस सीट से गांधी परिवार के करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने जीत का परचम लहराया.
अमेठी में बीजेपी की एंट्री 1998 में हुई जब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइंन करने वाले संजय सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन सतीश शर्मा को हराया
पति की हत्या के 6 साल बाद सियासत में उतरीं सोनिया गांधी ने अमेठी को ही अपना संसदीय सीट चुना और 1999 में बीजेपी के संजय सिंह को करारी शिकस्त देते हुए संसद तक पहुंचीं. 2004 में परिवार की विरासत संभाल रहे राहुल गांधी के लिए सोनिया ने ये सीट छोड़ दी और रायबरेली को अपना नया संसदीय क्षेत्र बनाया. 2004 से 2014 तक लगातार राहुल गांधी यहां से जीते और सांसद बने. हालांकि 2014 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं स्मृति ईरानी ने कड़ी टक्कर दी. राहुल गांधी ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से स्मृति ईरानी को हराया.
2014 में अमेठी से हार के बावजूद स्मृति ईरानी केन्द्रीय मंत्री बन गईं और अमेठी में लगातार गांधी परिवार पर हमलावर रहीं यहीं वजह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को अमेठी की जनता ने अपना सांसद बनाया. स्मृति ईरानी यहां 55 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से राहुल गांधी पर जीत दर्ज की. इसका ईनाम भी स्मृति को मिला और उन्हें मोदी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी दी गई
2024 लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी के मुकाबले कांग्रेस ने के एल शर्मा को उतारा है जो पहली बार चुनावी रण में उतरे हैं. हालांकि वो यहां गांधी परिवार को चुनाव लड़ाने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं.
बाइट- प्रियंका
ऐसे में अमेठी का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. अगर स्मृति ईरानी जीतती हैं तो वो नया इतिहास रचेंगी क्योंकि लगातार दो बार गैर कांग्रेसी को सांसद यहां की जनता ने नहीं चुना है. वहीं केएल शर्मा के जीतने के भी कई मायने हैं. इससे ये साबित हो जाएगा कि अमेठी आज भी गांधी परिवार का गढ़ है और जनता उनके प्रतिनिधि पर भी विश्वास करती है.