UP NEWS: 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी से 64 सीटें जीतने वाला एनडीए गठबंधन इस बार यूपी में हांफता नजर आ रहा है. पूरी ताकत लगाने के बाद भी बीजेपी और एनडीए गठबंधन पिछले चुनाव में किए गये अपने प्रदर्शन के आसपास भी आता नहीं दिखा. पीएम मोदी की सीट वाराणसी में भी एक बार पीएम पीछे नजर आए हालांकि फिर उन्होने बढ़त बना ली.यहां तक कि केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव हार गयी हैं. मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान और खेरी सीट से अजय मिश्रा टेनी जैसे नेता भी चुनाव हार रहे हैं. इसके अलावा घटक दल आरएलडी, सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेवाला) का भी बुरा हाल है.आरएलडी मात्र 2 सीटें जीत रही है वहीं अपना दल भी अच्छा नहीं कर पाई और मात्र 1 सीट से उसे संतोष करना पड़ा. इससे ऐसा माना जा रहा है कि मोदी-योगी का जादू इस बार यूपी में नहीं चल पाया और दो लड़कों ने मिलकर बाजी पलट दी.
इस चुनाव में स्थानीय मुद्दा काफी हावी रहा. पश्चिम यूपी की 10 सीटों की बात की जाए तो इसमें कैराना, सहारनपुर, मुरादाबाद, संभल, मेरठ, रामपुर, मथुरा नगीना और मुजफ्फरनगर के नाम शामिल हैं. ये वो इलाके हैं जहां किसान आंदोलन ने तेज रफ्तारी पकड़ी थी. इन इलाकों में मुस्लिम और जाटों की अच्छी खासी संख्या है. लेकिन दोनों कभी एक पार्टी को वोट नहीं करते. इस बार समीकरण थोड़ा अलग दिखा. कृषि कानूनों की वापसी को लेकर चला किसान आंदोलन का असर यहां दिखा है और जाट इसकी वजह से बीजेपी से नाराज हैं. चुनाव से पहले मोदी सरकार ने किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न की घोषणा कर जाटों को खुश करने की कोशिश की और आरएलडी के साथ समझौता भी किया लेकिन उसका असर जमीन पर नहीं दिखा. इसके अलावा मुसलमानों की संख्या इन इलाकों में अच्छी खासी थी जिसका एकमुश्त समर्थन इंडिया गठबंधन को मिला. इसके अलावा अग्निवीर योजना का असर भी यहां दिखा क्योंकि यूपी से बड़ी संख्या में युवा वर्ग सेना में जाते हैं.
पूर्वी यूपी की बात करें तो यहां जातीय समीकरण काफी मायने रखते हैं. यहां वाराणसी ,जौनपुर ,गाजीपुर ,भदोही ,मिर्जापुर, प्रयागराज, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़ ,मऊ, बलरामपुर,अयोध्याय, अमेठी ,आंबेडकर नगर,महाराजगंज, बस्ती, गोंडा ,संत कबीर नगर ,सिद्धार्थनगर, बलिया, सोनभद्र,चंदौली,बहराइच ,श्रावस्ती नगर,सुल्तानपुर, प्रतापगढ़,कौशाम्बी जिले आते हैं यहां पर एसपी और कांग्रेस ने मिलकर पूरी जान लगाई. राहुल गांधी के साथ अखिलेश यादव ने मिलकर कई रैलियां की. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेठी रायबरेली में डेरा डाला और जन-जन अभियान चलाया. इसका असर ये रहा कि न सिर्फ कांग्रेस ने रायबरेली सीट जीती बल्कि अमेठी भी अपनी झोली में डालने में कामयाब रही. इसके अलावा राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताया और पिछड़े, अति पिछड़े वर्ग को ये समझाने में कामयाब रहे कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है. इसके अलावा इन इलाकों में बीएसपी का काफी असर रहा है. लेकिन मायावती के नेतृत्व में बीएसपी ने चुनाव में कोई दम नहीं लगाया. इसका असर चुनाव पर दिखा. बीएसपी के वोट प्रतिशत में काफी कमी आया है और बीएसपी समर्थित दलित वोटरों का समर्थन हासिल करने में इंडिया गठबंधन कामयाब रहा. इंडिया गठबंधन ने पेपर लीक मामला और बेरोजगारी का मुद्दा पूरे जोरशोर से उठाया. युवाओं के मन को इन मुद्दों ने छुआ और युवा वर्ग इंडिया गठबंधन को समर्थन देते नजर आए.