UP के दो लड़कों ने कमाल कर दिया. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में सबसे बड़ा उलटफेर करने वाला राज्य रहा उत्तर प्रदेश. यहां एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली और बीजेपी को जबरदस्त झटका लगा और वो 64 सीटों से घट कर 33 सीटों पर आ गयी वहीं समाजवादी पार्टी 8 सीटों से 37 सीटों पर पहुंच गयी. कांग्रेस भी 1 सीट से 6 सीट पर पहुंच गयी है. सीटों के लिहाज से एसपी को ये सबसे बड़ा जंप मिला है वहीं वोट प्रतिशत की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. 33 फीसदी से अधिक वोट मिला.
लोकसभा चुनाव के लिहाज से बात करें तो मुलायम सिंह यादव के जमाने में भी एसपी ने ऐसा प्रदर्शन नहीं किया था. इन नतीजों ने यूपी में एसपी- कांग्रेस के गठबंधन को नया आयाम दिया है. अब योगी सरकार की भी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं क्योंकि विपक्ष अब आक्रामक होगा. अक्टूबर 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. इसके बाद पार्टी सत्ता में भी आई लेकिन वोटों का प्रतिशत कभी 32 फीसदी से ऊपर नहीं गया. इस बार मुलायम सिंह यादव नहीं थे और अखिलेश यादव के कंधे पर पार्टी की बागडोर थी. अखिलेश यादव ने 2017 में कांग्रेस के साथ गठबंधन में सफलता नहीं मिलने के बावजूद इस चुनाव में कांग्रेस के साथ समझौता किया. बीएसपी के तय वोटरों का साथ भी मिले इसके लिए गैर यादव वोटरों, दलितों पर भी फोकस किया. इस दौरान एमवाई समीकरण को आधार बनाए रखा जिसका असर चुनाव परिणामों में दिखा. उन्होने इस चुनाव में 5 यादवों को टिकट दिया था ये सभी मुलायम कुनबे से ताल्लुक रखते हैं इसके अलावा 10 सर्वाधिक टिकट कुर्मी और पटेल बिरादरी को दिया साथ ही 17 दलित उम्मीदवार उतारे. अयोध्या और मेरठ जैसे सीट पर भी दलित कार्ड खेलकर बीजेपी को खूब छकाया. अखिलेश ने इस बात पर पूरा जोर लगाया कि हिन्दू- मुस्लिम ध्रुवीकरण न हो. इसके लिए मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में हिन्दू उम्मीदवार उतारे. गैर यादव पिछड़ी जातियों को तवज्जो दिया
राज्य में अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने लोगों को ये समझाया कि बीजेपी आई तो संविधान और आरक्षण खत्म कर देगी. जातिय जनगणना की वकालत करते हुए जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी का नारा दिया . किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के वादे की याद दिलाई. फसलों की एनएसपी को कानूनी जामा पहनाने की बात कही
युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पेपर लीक का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार पर भी सरकार को घेरा. अखिलेश यादव के मुद्दे जनता के जेहन में उतर गए और नतीजा चुनाव में दिखा
इस चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज से और उनकी पत्नी डिंपल यादव मैनपुरी से चुनाव लड़ रहे थे. इस दौरान उनकी बेटी अदिति यादव चुनाव प्रचार करती दिखीं. चुनाव में अखिलेश परिवार और मुलायम सिंह यादव का कुनबा एकजुट दिखा. शिवपाल यादव से लेकर धर्मेन्द्र यादव तक सभी ने समाजवादी पार्टी की एकता को मजबूत करते नजर आए इसका चुनाव में फायदा मिला