BJP के हाथ से क्यों फिसला Rajasthan ? जानें पिछड़ने के सारे फैक्टर 

Updated : Jun 04, 2024 21:23
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Editorji News Desk

जिस राजस्थान में 2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी का पूर्ण कमल खिला. उस राजस्थान में आखिर ऐसा क्या हुआ कि 2024 के चुनावों में बीजेपी को जोर का झटका लगा? इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. आइए एक-एक कर उन बीजेपी की हार के फैक्टर्स जानते हैं-GFX IN
HEADER- राजस्थान में क्यों पिछड़ी BJP?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजस्थान में कई लोकसभा सीटों पर राजपूत वोटर्स BJP से नाराज थे.
इसका खामियाजा बीजेपी को नुकसान के रूप में उठाना पड़ा.
करौली, झुंझुनं, जोधपुर, बाड़मेर-जैसलमेर में राजपूत वोटर्स ने बीजेपी को वोट नहीं दिया.
लोकसभा चुनाव में जाट वोट बैंक बीजेपी से खिसका नजर आया.
जिसका असर शेखावटी समेत बाड़मेर और नागौर में भी देखने को मिला.
किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना भी इसकी वजह रही.
सोशल मीडिया पर मोदी के सत्ता में आने पर आरक्षण ख़त्म करने की अफ़वाह से भी SC/ST में कुछ नुकसान हुआ.
राजस्थान में रैली करने पहुंचे PM मोदी हिंदू मुस्लिम पर आ गए थे.
जिसका असर सीधा-सीधा जनता पर पड़ा और जनता बीजेपी को नकारने लगी.
GFX OUTBYTE- MODI, (AGAR MILE TO HINDU MUSLIM)VO- विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज चल रहे सचिन पायलट ने भी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अहम भूमिका निभाई. खबरों की मानें तो-GFX IN
HEADER- सचिन पायलट फैक्टर-
विधानसभा चुनाव में पायलट समर्थकों ने गहलोत के खिलाफ वोट दिए थे…
मगर इस बार ये कांग्रेस के साथ खड़े रहे…
सचिन पायलट का जमकर प्रचार करना भी बड़ा फैक्टर रहा
विधानसभा चुनाव में साथ देने के बावजूद गुर्जरों को भजनलाल सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली
GFX OUTVO- लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे का फैक्टर भी राजस्थान के चुनाव में हावी रहा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो-GFX IN
HEADER- वसुंधरा राजे फैक्टर-
राजस्थान की करीब 12 सीटों पर पूर्व CM वसुंधरा गुट ने पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया…
या फिर पार्टी के लिए कोई काम नहीं किया…
खुद वसुंधरा राजे ने उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया…
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने अपने बेटे दुष्यंत की  झालावाड़-बारां सीट से आगे कहीं भी कोई चुनावी प्रचार नहीं किया.
इसका असर भी चुनाव परिणामों पर पड़ा.
GFX OUTVO- राजस्थान के चुनाव प्रचार में अशोक गहलोत के एक्टिव नहीं होने या किसी पद पर नहीं होने से जनता में पांच साल के गहलोत सरकार के शासन की नाराजगी नहीं दिखी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अशोक गहलोत ने खुद को अपने बेटे वैभव गहलोत के लोकसभा क्षेत्र जालौर सिरोही तक ही कैद कर लिया था. जिसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनावों में हुआ. अशोक गहलोत से जनता की नाराजगी का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि पब्लिक ने वैभव गहलोत को हरा दिया है.

Rajasthan

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