क्या हैदराबाद में Owaisi ब्रदर्स में चुनावी टक्कर होगी? असदुद्दीन ओवैसी की सीट पर उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने नामांकन क्यों किया है? ऐसे तमाम सवाल हैं जो राजनीतिक गलियारों में उस वक्त से चल रहे हैं जब से अकबरुद्दीन ने हैदराबाद लोकसभा सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है. लेकिन हम आपको बता दें कि AIMIM ने ही अकबरुद्दीन ओवैसी का बैकअप या वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन कराया है. ऐसा इसलिए कि किन्हीं कारणों से अगर असदुद्दीन ओवैसी का नामांकन खारिज हो जाता है तो AIMIM के बार बैकअप के तौर पर अकबरुद्दीन ओवैसी का नामांकन रहेगा और पार्टी का एक उम्मीदवार चुनाव में बना रहेगा.
क्यों रखा जाता है वैकल्पिक उम्मीदवार?
अगर चुनाव अधिकारियों द्वारा जांच के बाद मुख्य उम्मीदवार की उम्मीदवारी खारिज कर दी जाती है या उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसे में वैकल्पिक उम्मीदवार पार्टी का मुख्य चेहरा बन जाता है. अधिकांश बड़ी राजनीतिक पार्टियों द्वारा एक विकल्प या एक कवरिंग उम्मीदवार को बैकअप के रूप में मैदान में उतारा जाता है. इस उम्मीदवार की उम्मीदवारी नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि तक ही रहती है. जब मुख्य उम्मीदवार का नामांकन चुनाव कार्यालय द्वारा अनुमोदित हो जाता है, तो वैकल्पिक का हलफनामा अमान्य घोषित कर दिया जाता है. कुछ पार्टियां ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में ऐसे उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारती हैं, जहां कांटे की टक्कर होती है.
हैदराबाद पर 1984 से ओवैसी परिवार का कब्जा
बता दें कि हैदराबाद लोकसभा सीट ओवैसी परिवार का गढ़ माना जाता है. यहां AIMIM 1984 से लगातार जीतती आ रही है. इस सीट पर करीब 60 प्रतिशत मुसलमान तो करीब 40 प्रतिशत हिंदू आबादी है. हैदराबाद सीट पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के पिता दिवंगत सलाहुद्दीन ओवैसी 1984 से 1999 तक लगातार 6 चुनाव जीते. इसके बाद 2004 से लेकर 2019 तक, 4 बार से असदुद्दीन ओवैसी यहां से परचम लहरा रहे हैं. कुल मिलाकर 10 बार से लगातार इस सीट पर ओवैसी परिवार का कब्जा है. अबकी बार ओवैसी के सामने बीजेपी की मजूबत उम्मीदवार माधवी लता हैं. वह अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही हैं. वहीं कांग्रेस ने फिलहाल कोई उम्मीदवार यहां नहीं उतारा है.
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