Lok Sabha Elections 2024: विदिशा ने बदली है कई दलों की दिशा, जानें क्यों है खास यहां का राजनीतिक इतिहास

Updated : Apr 18, 2024 13:41
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Editorji News Desk

देश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) का बिगुल बज चुका है.19 अप्रैल को देश में पहले चरण के मतदान के साथ आम चुनाव के लिए वोटिंग की शुरुआत हो जाएगी. पहले चरण में 102 सीटों पर वोटिंग होनी है. सभी राजनीतिक दल पूरे तरह से चुनावी महासमर में उतर चुके है. आज हम अपनी 'पोल रिपोर्ट' में बात करेंगे मध्य प्रदेश के विदिशा जहां से बीजेपी ने मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और लोकप्रिय नेता शिवराज सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया है.

विदिशा का इतिहास

बेतवा नदी के किनारे बसा विदिशा(Vidisha बेहद खूबसूरत शहर है. इस  शहर की खासियत यहां के घाट हैं. इस शहर की एक बड़ी पहचान यहां बने मशहूर सांची के स्तूप से भी होती है.जिसे देखने के लिए देश और दुनिया के लाखों लोग यहां आते हैं. सांची के स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था. यहां बासौदा में भगवान शिव का अति प्रचीन मंदिर है जिसका नाम है नीलकंठेश्वर मंदिर. यह इस क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं. इसके अलावा भी इस इलाके में बहुत सी ऐसी ऐतिहासिक जगहें हैं जिसे देखने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं. इसके अलावा बासौदा में भगवान शिव का अति प्रचीन मंदिर है जिसका नाम है नीलकंठेश्वर मंदिर. यह इस क्षेत्र के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं.

विदिशा लोक सभा के जिले

विदिशा लोकसभा में आठ विधानसभाएं हैं जिनमें भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, बासौदा, बुधनी, इच्छावर और खाटेगांव शामिल हैं. विदिशा लोकसभा सीट को रायसेन, विदिशा, सीहोर और देवास जिले के हिस्सों को शामिल किया गया है.

विदिशा का राजनीतिक इतिहास

शिवराज सिंह चौहान के नाम से पहचाने जाने वाली विदिशा लोकसभा सीट का निर्वाचन साल 1967 में किया गया था. बीजेपी के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान यहां से कई बार चुनाव लड़ चुके हैं और शिवराज साल 1991,1996,1999 और 2004 में सांसद बन कर विदिशा पहुंचे हैं.इसके बाद शिवराज को मध्य प्रदेश का सीएम बनाया गया तो बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ा और शानदार जीत दर्ज की.  मध्य प्रदेश की इस लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव लड़ चुके हैं.

2014 से 2019 का चुनावी इतिहास 

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में  में जब सुषमा स्वराज ने विदिशा से चुनाव लड़ा था तो उस वक्त भी जीत का अंतर करीब 4 लाख वोटों का रहा था. सुषमा स्वराज ने यहां से लक्ष्मण सिंह को हराया था. वहीं साल 2019 में चुनाव की बात की जाए तो इस लोकसभा सीट से बीजेपी ने रमाकांत भार्गव को चुनावी मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने शैलेंद्र पटेल पर अपना दांव आजमाया था. जीत बीजेपी के रमाकांत की हुई थी, बीजेपी नेता रमाकांत ने करीब 5 लाख वोटों के भारी-भरकम अंतर से शैलेंद्र पटेल को चुनाव में पटकनी दी थी.

विदिशा से कांग्रेस उम्मीदवार

इस बार कांग्रेस ने बीजेपी के गढ़ माने जाने वाली विदिशा लोकसभा सीट से विदिशा से ही पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मापर दांव खेला है. अब देखने वाली बात ये है कि क्या जनता बीजेपी के गढ़ माने जाने वाली विदिशा से फिर बीजेपी को मौका देती है या कांग्रेस पर अपना विश्वास दिखाती है.

कौन हैं प्रताप भानु शर्मा?

प्रताप भानु शर्मा का जन्म 1947 में हुआ था. वे मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के रहने वाले हैं. प्रताप भानु शर्मा 7वीं और 8वीं लोकसभा में विदिशा सीट से सांसद रह चुके हैं. मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले प्रताप भानु शर्मा एक बड़े उद्योगपति भी रहे हैं. जब वे सांसद थे, तब उन्होंने स्वरोजगार योजनाओं को चलाया और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया.साल 1980 और 1984 में उन्होंने विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 

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