आपने सुना होगा कि चुनाव में किसी सीट पर प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए, या फिर किसी सीट पर प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई. 10 मार्च को ये शब्द फिर से सुनने को मिलेगा लेकिन जमानत जब्त (security deposit in election) आखिर होती कैसे है ? क्यों प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते ? हम आपको इसका पूरा गणित समझाएंगे
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दरअसल, हर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार को एक तय रकम चुनाव आयोग में जमा करानी होती है. जब प्रत्याशी अपना नामांकन (nomination) भरने जाता है, उस वक्त तय धन राशि जमा कराई जाती है. इसे ही जमानत राशि कहा जाता है. अगर कोई उम्मीदवार तय वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है.
कितनी होती है जमानत राशि?
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सामान्य वर्ग के लिए 25 हजार रुपये और SC/ST वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 12,500 रुपये जमा किए जाते हैं.
विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में सामान्य वर्ग के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये और SC/ST के लिए 5 हजार रुपये रखी गई है
कैसे जब्त होती है जमानत ?
जब कोई उम्मीदवार सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट हासिल नहीं कर पाता तो उसकी जमानत जब्त कर ली जाती है. उदहारण के लिए अगर किसी सीट पर 1 लाख वोट पड़े हैं और वहां 5 उम्मीदवारों को 16,666 से कम वोट मिले हैं, तो उन सभी की जमानत जब्त कर ली जाएगी.
कब-कब वापस होती है जमानत राशि ?
जमानत राशि वापस करने के लिए भी कई नियम हैं. जीतने वाले उम्मीदवार को उसकी रकम वापस कर दी जाती है. भले ही उसे 16.66% से कम वोट मिले हों. इसके अलावा वोटिंग शुरू होने से पहले अगर किसी प्रत्याशी (candidate) की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को भी रकम लौटा दी जाती है. उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या फिर नामांकन वापस लेने की स्थिति में भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है.