यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा है कि Postal Ballot में उनकी पार्टी 304 सीटों पर आगे रही. अखिलेश के इस बयान के बाद पोस्टल बैलेट को लेकर लोगों में जिज्ञासा पैदा हो गई है. पोस्टल बैलेट के वोटों की गिनती ईवीएम से पहले की जाती है, आइए लेते हैं इसकी पूरी जानकारी...
भारत के हर चुनाव में पोस्टल बैलेट का खास महत्व है. पोस्टल बैलेट एक डाक मत पत्र होता है. यह 1980 के दशक वाले बैलेट पेपर जैसा ही है. ऐसे लोग जो नौकरी की वजह से अपने चुनावी क्षेत्र में वोट नहीं डाल पाते, वह इसका इस्तेमाल करते हैं. ये लोग सर्विस वोटर्स या अबसेंटी वोटर्स भी कहलाए जाते हैं.
इलेक्शन कमीशन (Election Commission of India) से मिले फॉर्म 13-बी में ऐसे निर्देश दिए गए हैं जिनके मुताबिक पसंद के कैंडिडेट के नाम के सामने क्रॉस (X) या सही (v) निशान लगाकर मतपत्र में वोट डाला जाता है. इसके बाद, निशान लगे मतपत्र को छोटे लिफाफे में डालकर बंद कर दिया जाता है. इस लिफाफे पर फॉर्म 13-बी का लेबल चिपकाया जाता है. बैलेट पेपर का सीरियल नंबर उस लिफाफे पर इसके लिए दिए गए जगह पर फॉर्म 13-बी पर नोट की जाती है. इसके बाद फॉर्म 13-ए में घोषणा भरी जाती है और उस पर हस्ताक्षर करके संबंधित अधिकारी से सत्यापित कराया जाता है.
पहला बंद छोटा लिफाफा (फॉर्म 13-बी) और दूसरा फॉर्म 13-ए में डिक्लेरेशन को बड़े लिफाफे के अंदर रखने के बाद उसे सील कर दिया जाता है. बड़े लिफाफे पर फॉर्म 13-सी के लिए लेबल चिपकाकर साइन किया जाता है. डाक से लिफाफे (फॉर्म 13-सी) को रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को वापस भेज दिया जाता है.
सशस्त्र बलों के सदस्य, किसी राज्य के सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य. भारत सरकार के तहत भारत के बाहर किसी पद पर कार्यरत शख्स