तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया कि बीजेपी का उत्तर-पूर्व (North-East) के राज्यों में प्रभाव बढ़ा है और इसका सबसे बड़ा क्रेडिट हिमंत बिस्व सरमा को दिया जा रहा है.
माणिक साहा को चुनने में मदद
बीजेपी के लिए हिमंत बिस्व सरमा की भूमिका पूरे नॉर्थ ईस्ट में संकटमोचक की रही है. फिर चाहे वह त्रिपुरा हो या मणिपुर, इन राज्यों में जब भी बीजेपी की सरकार संकट में फंसी, हिमंत बिस्व सरमा ने अपने पॉलिटिकल मैनेजमेंट से सब कुछ संभाल लिया और बीजेपी की सरकार बरकरार रही. उन्होंने ही माणिक साहा को ऐसे व्यक्ति के रूप में चुनने में दिल्ली की मदद की थी जो महत्वपूर्ण सीमावर्ती राज्य त्रिपुरा में बीजेपी की लोकप्रियता को पहुंचे नुकसान को कम कर सके. नतीजा आज बीजेपी ने सरकार रिपीट की है.
नेफ्यू रियो के बारे में परख
बात अगर नगालैंड की करें, को सरमा ने ही सबसे पहले नेफ्यू रियो को उग्रवाद से ग्रस्त राज्य नगालैंड में दूसरे कार्यकाल के लिए पसंदीदा व्यक्ति बताया था और उसी हिसाब से बीजेपी के लिए रणनीति तैयार की थी.
NPP से फिर बातचीत
वहीं बीजेपी ने जब NPP के साथ गठबंधन तोड़कर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. तो चुनावी नतीजों में कोनराड संगमा को बहुमत नहीं मिलने पर बातचीत के मेज पर सक्रिय हो गए. वजह मेघालय में फिर से पुराने सहयोगी के साथ बीजेपी सरकार बनाने जा रही है.
बता दें कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हुए हिंमता को बीजेपी ने 2021 का चुनाव जीतने के बाद असम मुख्यमंत्री बनाया और नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का गठन कर उन्हें कांग्रेस और अन्य पार्टियों से नाराज चल रहे लोगों को बीजेपी से जोड़ने का टास्क दिया. चुनावी नतीजों से साफ है कि संगठन में हिमंत बिस्व सरमा का कद बढ़ना तय है. आज के हालात में हिमंत बीजेपी में इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी पकड़ नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों में है.
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