Akhilesh Yadav Challenges : चुनौतियों के इस चक्रव्यूह को भेदकर, 'सिकंदर' कहलाएंगे अखिलेश!

Updated : Mar 20, 2022 14:44
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Editorji News Desk

यूपी चुनाव (UP Assembly Elections 2022) में सत्ता पाने से चूके अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं. अखिलेश ने राज्य में अपने विधायक बढ़ा लिए हैं लेकिन आने वाले वक्त में उन्हें 3 मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. आइए जानते हैं, समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख के सामने वे कौन से चैलेंज हैं जो पार्टी और उन्हें संकट में डाल सकते हैं...

1- सहयोगियों को साधकर रखना : अखिलेश ने यूपी चुनाव 2022 से पहले कई छोटे दलों का एसपी में विलय करवाया था और कई पार्टियों के साथ गठजोड़ किया था. एसपी की रणनीति थी कि वह छोटी जातियों को अपने पाले में लामबंद करके राज्य की सत्ता पा लेगी. हालांकि, ये रणनीति बहुत हद तक कामयाब भी हुई लेकिन सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) को लेकर अटकलों का नया दौर उठ चला है. सभी जानते हैं कि राजनीति का ऊंट कभी भी कोई करवट ले सकता है. राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा और उनके आरोप भी सबके सामने आ चुके हैं. ऐसे हालातों में अखिलेश के सामने अहम चुनौती सहयोगियों का साधकर रखने की होगी.

2- नगर निकाय चुनाव : यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद कुछ ही महीनों के अंतराल पर नगर निकाय चुनाव (Municipal Corporation Elections in Uttar Pradesh) होते हैं. विधानसभा चुनाव से पहले हुए पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सत्ताधारी बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और एक तरह से वह 21 भी साबित हुई लेकिन आने वाले शहरी निकाय चुनाव में अखिलेश के लिए वही प्रदर्शन बरकरार रखना बड़ी चुनौती होगी. शहरी मतदाता को अमूमन बीजेपी का वोटर माना जाता है. ऐसे में मेयर और पार्षदों के इस चुनाव में भी अखिलेश के आगे बड़ा मुश्किल दौर होगा.

3- 2024 की लड़ाई : होली पर मुलायम ने कहा कि अब लक्ष्य 2024 (2024 Parliamentary Elections) का है, मेहनत करके पार्टी को मजबूत करना है. इस बात को अखिलेश भी बखूबी समझते हैं. शायद इसीलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट में मिली बढ़त की बात ट्विटर पर लिखी. वह अपने उन मतदाताओं को बिल्कुल नहीं खोना चाहते, जो 2022 में उनके पास आए हैं. एक एक हिस्सा सहेजने और रणनीति बनाने में जुटे अखिलेश 2024 की लड़ाई में बीजेपी के मुकाबले में जरूर खुद को लाना चाहेंगे. वह भी तब, जब उनका यादव वोट बैंक (Yadav Caste Vote in Uttar Pradesh) उनके पास लौट आया है और मुस्लिमों (Muslim Vote in Uttar Pradesh) ने भी एकजुट होकर पार्टी के पक्ष में वोट किया है.

जानें, Postal Ballot System: अखिलेश को याद आया पोस्टल बैलेट, जानें वोटिंग का ये सिस्टम है क्या?
 

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